Vrat Udyapan: व्रत के बाद क्यों जरूरी है उद्यापन, जानें इसके अर्थ और महत्व के बारे में
Vrat Udyapan Vidhi: किसी भी व्रत के बाद उद्यापन का विशेष महत्व होता है. यदि आप व्रत करते हैं और उसके बाद उद्यापन नहीं करते तो इससे व्रत का फल नहीं मिलता.
Udyapan Importance: व्रत के बाद उद्यापन करना महत्वपूर्ण होता है. उद्यापन के बगैर व्रत का फल नहीं प्राप्त होता. बता दें कि व्रत का समय पूरा के बाद जो अंतिम पूजा या अंतिम व्रत होती है उसे उद्यापन कहा जाता है. लोग व्रत तो कर लेते हैं लेकिन कई बार जानकारी के अभाव या समयाभाव के कारण व्रत का उद्यापन नहीं करते. इसी कारण उन्हें व्रत का फल प्राप्त नहीं होता और व्रत निष्फल हो जाता है.
इसलिए बहुत जरूरी है कि व्रत के पूरा होने बाद उसका उद्यापन किया जाए. आप योग्य ब्राह्मण या किसी पुरोहित के द्वारा उद्यापन करा सकते हैं. आपने जितने व्रतों का संकल्प लिया हो उसके पूरा होने के बाद उद्यापन जरूर करें.
क्यों महत्वपूर्ण है उद्यापन
शास्त्रों में बताया गया है कि आप चाहे एकादशी, पूर्णिमा, सोमवार, मंगलवार, बृहस्पतिवार, वैभव लक्ष्मी आदि कोई भी व्रत करें, उसका उद्यापन जरूर करें. बिना उद्यापन के व्रत निष्फल हो जाता है यानी उसका फल नहीं मिलता. यदि पूजा-पाठ, व्रत में कोई गलती हुई हो या फिर किसी कारण कोई व्रत छूट गया हो तो इन व्रतों की पूर्णत: के लिए उद्यापन किया जाता है. इसलिए आप जो भी व्रत करें उस व्रत का उद्यापन होना अति अनिवार्य होता है.
उद्यापन का अर्थ
व्रत उद्यापन का अर्थ होता है भलि भांति किसी काम का पूरा होना. विधिपूर्वक कार्य संपन्न होना और व्रत आदि की समाप्ति के बाद किया जाने वाला धार्मिक कार्य जैसे हवन, पूजन और भोजन आदि.
उद्यापन का महत्व
नंदी पुराण और निर्णय सिंधु के अनुसार ‘उद्यापनं विना यत्रु तद् व्रतं निष्फलं भवेत।’ अर्थात बिना उद्यापन के किया गया कोई भी व्रत निष्फल हो जाता है. इसलिए आप चाहे कोई भी व्रत करें चाहे वह व्रत एक दिन ही क्यों न किया गया हो, लेकिन उसका उद्यापन जरूर करें.
क्या उद्यापन के बाद फिर से किया जा सकता है व्रत
लोगों को लगता है कि जिस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है उसे पुन: नहीं कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. आपने जिस व्रत का भी उद्यापन किया हो उसे पुन: प्रांरभ किया जा सकता है. नई श्रृंखला के साथ आप फिर से उस व्रत को उठा सकते हैं.
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