आज है उत्पन्ना एकादशी व्रत, जानें व्रत का महत्व और पूजा के नियम
हिंदु धर्म में एकादशी व्रत की बहुत महत्ता है. आज उत्पन्ना एकादशी व्रत है. चलिए जानते हैं इस व्रत में क्या होता है और ये व्रत क्यों किया जाता है.
नई दिल्लीः हिन्दु पंचांग के मुताबिक देशभर में आज यानि 22 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जा रहा है. हिंदु धर्म में उत्पन्ना एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन ही एकादशी माता का जन्म हुआ था, इसीलिए इस दिन को उत्पन्ना एकादशी के व्रत के रूप में मनाया जाता है. कृष्ण पक्ष एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के तौर पर मनाया जाता है. उत्पन्ना एकादशी को दक्षिण भारत में कार्तिक मास पर मनाया जाता है जबकि उत्तर भारत में आज ही के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है. चलिए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी के की पूजा के नियमों के बारे में.
उत्पन्ना एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त - एकादशी तिथि का आरंभ 22 नवंबर को सुबह 09 बजकर 01 मिनट से है और एकादशी तिथि की समाप्ति 23 नवंबर 2019 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट तक है.
उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा- उत्पन्ना एकादशी माता को विष्णु भगवान की शक्ति के रूप में ही माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन एकादशी माता ने अवतार लेकर मुर नामक बलशाली असुर का वध करके पृथ्वीवासियों को उसके अत्यावार से मुक्त करवाया था. इस व्रत के उपलक्ष्य में ये भी कहा जाता है कि एकादशी माता को खुद भगवान विष्णु ने आशीर्वाद देकर इस व्रत को पूजनीय बनाया था. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु और एकादशी माता की पूजा की जाती है.
उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व - हिन्दू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. यदि आप एकादशी व्रत की शुरूआत करने की योजना बना रहे हैं तो आज का दिन आपके लिए सर्वश्रेष्ठ है. ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने वाले भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. ये मान्यता है कि सच्चे मन से इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा विधि –
- उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा के दौरान भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना होती है. यदि मूर्ति नहीं है तो सुपारी स्वरूप भगवान विष्णु की स्थापना कर सकते हैं.
- विष्णु जी की स्थापना के बाद तुलसी, धूप, चंदन, अगरबत्ती, घी का दिया, सुगंधित फूल विष्णु भगवान को अर्पित करें.
- मौसमी फलों से भगवान विष्णु को भागे लगाएं और आरती करते हुए पूजा संपन्न करें.
- तुलसी जरूर अर्पित करें क्योंकि ये विष्णु जी को सबसे ज्यादा प्रिय है.
- इसके बाद विष्णु जी से संबंधित धार्मिक किताबें भी पढ़ें और उत्पन्ना एकादशी व्रत की कथा पढ़ें
- भगवान कृष्ण जी की पूजा भी जरूर करें.
- इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए हल्दी मिले जल का अर्घ्य दें.
- ऐसा माना जाता है कि आज के दिन घाट, तालाब या नदी में स्नान करना शुभ होता है. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
- आज के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना शुभ माना जाता है. साथ ही गरीबों को दान दें.
उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा के नियम - उत्पन्ना एकादशी व्रत निर्जल या फलाहारी दोनों रूपों में रखा जा सकता है. ये आपकी क्षमताओं पर निर्भर करता है. इस व्रत में दिनभर सिर्फ फल और पानी ही पी सकते हैं. तामसिक भोजन, विचार और आदतों से दूर रहे. साथी से किसी तरह का संबंध ना बनाएं.
ये खबर एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.