Utpanna Ekadashi 2023: पुराणों में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. एकादशी व्रत रखने की परंपरा उत्पन्ना एकादशी से हुई थी, क्योंकि इसी दिन माता एकादशी श्रीहरि के विष्णु के शरीर से प्रकट हुईं थी.
पद्म पुराण के अनुसार स्वंय श्रीकृष्ण ने एकादशी व्रत को समस्त दुखों, त्रिविध तापों से मुक्ति दिलाने, हजारों यज्ञों के अनुष्ठा की तुलना करने वाला व्रत माना है. एकादशी व्रत रखने वालों को चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. अगर आप भी उत्पन्ना एकादशी से व्रत शुरू करने वाले हैं तो पहले इसके नियम, पूजा विधि जान लें.
उत्पन्ना एकादशी 2023 मुहूर्त (Utpanna Ekadashi 2023 Time)
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि शुरू | 8 दिसंबर 2023, सुबह 05.06 |
मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी तिथि समाप्त | 9 दिसंबर 2023, सुबह 06.31 |
उत्पन्ना एकादशी पूजा समय | सुबह 07.01 - सुबह 10.54 |
सौभाग्य योग | 8 दिसंबर 2023, प्रात: 12.01 - 9 दिसंबर 2023, प्रात: 12.05 |
व्रत पारण समय | 9 दिसंबर 2023 को दोपहर 01.15 - दोपहर 03.20 |
एकादशी व्रत की विधि (Ekadashi Vrat Vidhi)
- एकादशी व्रत करने वाल दशमी तिथि से ही मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल का त्याग कर देते है. इन चीजों का सेवन एकादशी व्रत के दौरान निषेध है.
- दशमी तिथि से द्वादशी तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
- एकादशी के दिन प्रात: काल टूथपेस्ट नहीं जामुन, नींबू या आम के पेड़ की लकड़ी से दातुन करें. नहाने के पानी में तीर्थ स्थल की नदी का जल मिलाकर स्नान करें.
- श्रीहरि विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन-रात निराहार व्रत रखें. शुभ मुहूर्त में श्रीहरि विष्णु का दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करें.
- इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए विष्णु जी को पीले फूल, गोपी चंदन लगाएं.
- एकादशी के दिन विष्णु जी के भोग में तुलसी जरुर डाले इसके बिना पूजा स्वीकार नहीं होती. इसके साथ ही उत्पन्ना एकादशी की कथा पढ़ें. इस दिन अन्न, धन, वस्त्र, गौ आदि का दान करना शुभफलदायी होता है.
- रात में जागकर नारायण का ध्यान करें, भजन कीर्तन करें. अगले दिन स्नान आदि के बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं. उसे सामर्थ्य के अनुसार दान दें और इसके बाद पैर छूकर आशीर्वाद लें, फिर व्रत का पारण करें.
एकादशी व्रत के नियम (Ekadashi Vrat Niyam)
- एकादशी व्रत करने वालों को इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है.
- एकादशी के दिन किसी का दिया हुआ अन्न ग्रहन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही व्रतधारी गाजर, शलजम, गोभी, पालक आदि का सेवन न करें.
- एकादशी व्रत के साथ इस दिन क्रोध न करने का संकल्प भी लें. कटू वचन न बोलें. घर में चावल न बनाएं. इस दिन बाल, दाढ़ी नहीं काटनी चाहिए. इससे दोष लगता है.
- एकादशी के दिन किसी भी वृक्ष के पत्ते नहीं तोड़, न ही इस दिन तुलसी में जल चढ़ाएं. ऐसा करने पर माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.