Vaibhav Laxmi Vrat: मां लक्ष्मी को धन-वैभव की देवी कहा जाता है. देवी लक्ष्मी के कई रूप हैं मां लक्ष्मी को कोई धन लक्ष्मी, कोई वैभव लक्ष्मी, कोई गजलक्ष्मी तो कोई संतान लक्ष्मी के रूप में पूजता है. मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए व्यक्ति अपने मनोरथ के अनुसार देवी की आराधना करता है.
धन की अधिष्ठात्री देवी को प्रसन्न करने के लिए वैभव लक्ष्मी का व्रत करना उत्तम फलदायी माना गया है. मान्यता है कि जिस घर में वैभव लक्ष्मी की पूजा होती है वहां सुख-संपत्ति का वास होता है और घर धन-धान्य से भर जाता है. आइए जानते हैं ये व्रत कब और कैसे करना चाहिए. क्या है इस व्रत के नियम.
कब करें वैभव लक्ष्मी व्रत ? (When started Vaibhav Laxmi Vrat)
वैभव लक्ष्मी व्रत को शुक्रवार से शुरू करना चाहिए. जिस दिन से व्रत की शुरुआत करें उस दिन 11 या 21 शुक्रवार के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद उद्यापन कर इसका समापन किया जाता है.
कैसे करें वैभव लक्ष्मी व्रत ? (Vaibhav Laxmi Vrat Puja vidhi)
- शुक्रवार के दिन सुबह स्नान कर साफ, धुले वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें. लाल या सफेद रंग के कपड़े पहनना अच्छा होगा. पूरे दिन आप फलाहार करके यह व्रत रख सकते हैं.
- शुक्रवार को शाम को दोबारा स्नान करने के बाद पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. इस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति और श्रीयंत्र स्थापित करें .
- वैभव लक्ष्मी की तस्वीर के सामने मुट्ठी भर चावल का ढेर लगाएं और उस पर जल से भरा हुआ तांबे का कलश स्थापित करें. कलश के ऊपर एक कटोरी में चांदी के सिक्के या कोई सोने-चांदी का आभूषण रखें.
- रोली, मौली, सिंदूर, फूल,चावल की खीर आदि मां लक्ष्मी अर्पित करें. पूजा के बाद वैभव लक्ष्मी कथा का पाठ करें. वैभव लक्ष्मी मंत्र का यथाशक्ति जप करें और अंत में देवी लक्ष्मी की आरती कर दें. शाम को पूजा के बाद अन्न ग्रहण कर सकते हैं.
वैभव लक्ष्मी मंत्र (Vaibhav Laxmi Mantra)
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम (Vaibhav Laxmi Vrat Rules)
- व्रत का पारण मां लक्ष्मी की प्रसाद में चढ़ाई खीर से करें.
- इस दिन खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए
- वैभव लक्ष्मी व्रत में श्रीयंत्र की पूजा अवश्य करें.
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