Vaibhav Laxmi Vrat Puja: पूजा-पाठ, व्रत, धार्मिक अनुष्ठान भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है.सप्ताह के हर दिन के अनुसार देवी-देवताओं की विशेष पूजा का विधान है. शुक्रवार को लक्ष्मी देवी का व्रत रखा जाता है. इसे वैभव लक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है. इस व्रत का विशेष महत्व है. जीवन में पैसों की कमी न हो इसके लिए लोग मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं.कहा जाता है कि अगर आपसे मां लक्ष्मी रूठ गई हैं तो आप उन्हें वैभव लक्ष्मी व्रत से मना सकते हैं.
कब किया जाता है वैभव लक्ष्मी व्रत पूजन
वैभव लक्ष्मी की पूजा शाम के समय की जाती है.व्रत के दौरान पूरे दिन फलाहार करें. शाम को अन्न ग्रहण कर सकते हैं. शुक्रवार को शाम को स्नान करने के बाद पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. इस पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और प्रतिमा के बगल में श्रीयंत्र रखें.पूजा के दौरान श्वेत वस्त्र जरूर पहनें.क्योंकि सफेद रंग की वस्तुएं जैसे सफेद फूल,चावल की खीर आदि मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय है.पूजा के बाद वैभव लक्ष्मी कथा का पाठ अवश्य करे.या फिर वैभव लक्ष्मी मंत्र का यथाशक्ति जप करें.
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
पूजा में सिक्के जरूर रखें
वैभवलक्ष्मी की पूजा में चांदी का सिक्का जरुर रखें जिसमें सुंदर छवि वाली गणेश-लक्ष्मीजी की तस्वीर बनी हो. अगर आपके पास चांदी का सिक्का न हो तो सामान्य सिक्के भी गंगाजल से धोकर प्रयोग कर सकते हैं.पूजा के बाद इन सिक्कों को तिजोरी या लॉकर में रख दें.इससे घर में बरकत आती है. इस सिक्के को किसी को नहीं देना चाहिए.
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