Amawasya: हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष में अमावस्या और पूर्णिमा होती है. शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का आकार बढ़ता हुआ दिखाई देता है जबकि कृष्ण पक्ष में चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे घटता हुआ दिखाई देता है. पूर्णिमा को चंद्रमा पूर्ण आकार और चमकदार दिखाई देता है. वहीं अमावस्या पर चांद आकाश में दिखाई नहीं देता है.


कैसे होती है अमावस्या
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में आ जाते है तो उस तिथि को अमावस्या पड़ती है. इस समय सूर्य मेष राशि में गोचर कर रहे हैं. 14 अप्रैल को सूर्य मेष राशि में आए थे. सूर्य की यह उच्च राशि है. 22 अप्रैल को चंद्रमा मीन राशि को छोड़कर मेष राशि में गोचर करेगा. चंद्रमा करीब ढाई दिन में एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं.

पितरों को प्रसन्न करें
अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म , दान पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान बताया गया है.

राहु-केतु का उपाय करें
जिन लोगों की जन्मकुंडली में राहु-केतु अशुभ फल दें रहे हैं उन्हें आज के दिन पूजा करनी चाहिए. राहु-केतु के कारण बनने वाले पितृदोष के कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव और हर कार्य में बाधा का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस दिन की जाने वाली पूजा से पितृ को प्रसन्न कर इन समस्याओं से बच सकते हैं.

मुहूर्त
22 अप्रैल 2020: वैशाख अमावस्या
अमावस्या प्रारंभ: 05 बजकर 39 मिनट से
अमावस्या का समापन: 07 बजकर 57 मिनट

पूजा विधि
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. पूजा करने के बाद अपने इष्ठदेव और पितरों को याद करना चाहिए. उन्हे प्रसाद आदि का भोग लगाएं. इसके बाद सूर्यदेव को जल अर्पित करें.

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