Vaishakh Kalashtami 2023: वैशाख में कालाष्टमी कब? सुखी गृहस्थी के लिए इस दिन ऐसे करें काल भैरव की पूजा
Vaishakh Kalashtami 2023: हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव को समर्पित है. इसे कालाष्टमी के नाम से जाना जाता है. जानते है वैशाख कालाष्टमी की डेट, पूजा मुहूर्त और विधि.
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Vaishakh Kalashtami 2023: भैरव को शिव का रुद्र अवतार माना गया है. हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि काल भैरव को समर्पित है. इसे कालाष्टमी के नाम से जाना जाता है. भैरव का सबसे सौम्य रूप बटुक भैरव और उग्र रूप है काल भैरव है. काल भैरव को दंडाधिकारी भी कहा जाता है, कहते हैं जो सच्चे मन से कालाष्टमी पर काल भैरव की उपासना करता है उसके जीवन में समस्त सांसारिक बाधाएं, रोग, शोक, दोष दूर हो जाते हैं. काल भैरव की आराधना अधिकतर अघोरी और तांत्रिक सिद्धियां पाने के लिए करते हैं लेकिन कालाष्टमी पर गृहस्थ जीवन वाले भी काल भैरव की पूजा कर लाभ पा सकते हैं. बस इसके लिए आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा. आइए जानते है वैशाख कालाष्टमी की डेट, पूजा मुहूर्त और विधि.
वैशाख कालाष्टमी 2023 डेट (Vaishakh Kalashtami 2023 Date)
वैशाख कालाष्टमी 13 अप्रैल 2023 गुरुवार को है. मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में राहु और केतु अशुभ स्थित हों, उन्हें कालाष्टमी के दिन काल भैरव की विशेषकर पूजा अर्चना करनी चाहिए. इससे पाप ग्रहों के अशुभ प्रभाव में कमी आती है.
वैशाख कालाष्टमी 2023 मुहूर्त (Vaishakh Kalashtami 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 13 अप्रैल 2023 को सुबह 03 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 14 अप्रैल 2023 को प्रात: 01 बजकर 34 मिनट पर होगा. कालाष्टमी पर रात्रि में काल में काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है.
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:56 - दोपहर 12:47
- अमृत काल - सुबह 06:10 - सुबह 07:41
कालाष्टमी पर गृहस्थ जीवन वाले कैसे करें पूजा ? (Kalashtami Puja Vidhi
भगवान काल भैरव भले ही शिव के उग्र अवतार माने गए हैं लेकिन अपने सच्चे भक्तों पर वह कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. कालाष्टमी पर वैसे तो रात्रि में पूजा अधिक फलदायी है लेकिन परिवारजन इस दिन सुबह के समय साधारण पूजा करें. पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करके वंहा लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर स्थापित करें. उन्हें पुष्प, चंदन, रोली अर्पित करें. अब भगवान काल भैरव का स्मरण करते हुए नारियल, इमरती, पान, का भोग लगाएं. चौमुखी दीपक लगाकर भैरव चालिसा का पाठ करें. ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा।।' मंत्र का रुद्राक्ष की माला से 108 बार जाप करें. रात्रि में भैरवाष्टक का पाठ कर सकते हैं. मान्यता है इस विधि से पूजा करने पर काल भैरव साधक के सभी प्रकार के भय हर लेते हैं. गृहस्थ जीवन वाले भूलकर भी तामसिक पूजा न करें.
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