कोरोना वायरस का कहर इस समय देश समेत पूरी दुनिया पर मंडरा रहा है. भारत में भी इस वायरस के कारण अब तक 19 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं वहीं पूरी दुनिया में अभी तक इस महामारी से लाखों लोग काल के मुंह में समा चुके हैं. दुनिया भर के देश इस महामारी से जूझ रहे हैं. इस माह में अपनी दैनिक दिनचर्या में बदलाव कर स्वास्थ के साथ-साथ मन और मस्तिष्क को भी बेहतर बना सकते हैं. हिंदू धर्म में हर माह और पर्व के पीछे एक वैज्ञानिक महत्व भी छिपा है जिसे ऋषि मुनियों ने बहुत पहले ही अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर जान लिया था.
प्रकृति से जुड़ने का महीना है वैशाख
मानव प्रकृति के आगे कुछ भी नहीं है. मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति के कारण ही है. इसलिए हिंदू धर्म में वैशाख के माह को सृष्टि से जोड़कर भी देखा जाता है. मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ के पंद्रह दिन बाद वैशाख मास का आरम्भ होता है.वैशाख का महीना व्यक्ति को व्यष्टि से समष्टि की ओर ले जाता है.
बदलने लगता है वातावरण
वैशाख का महीने में वातावरण तेजी से बदलने लगता है. इस माह में तेज धूप निकलने लगती है. इस माह में अक्षय तृतीया का पर्व भी आता है. इस दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर बहुत तेज होती हैं. गर्मी बढ़ने लगती है. पानी और आंधी की भी स्थिति बनी रहती है. इस माह में वरुण देवता सक्रिय रहते हैं. पुराणों में भी इसका वर्णन मिलता है.
पौराणिक महत्व
स्कंद पुराण में भगवान ब्रह्मा जी ने वैशाख माह को सबसे उत्तम मास बताया है. यह मास सभी प्रकार के जीवों को ऊर्जा जीवन प्रदान करता है.
इस माह की दैनिक दिनचर्या
वैशाख माह में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना बताया गया है. इससे रोगों से बचाव होता है और ऊर्जा बनी रहती है. इस माह में सुपाच्य भोजन करना चाहिए. अधिक तैलीय भोजन नहीं करना चाहिए. संतुलित आहार लेने से शरीर को कोई रोग नहीं घेरता है. स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. वैशाख के माह में धर्म का पालन करना चाहिए.
इस माह में किए गए यज्ञ का विशेष फल प्राप्त होता है. इस माह दान, पशु-पक्षियों की सेवा और जनसेवा का भी महत्व बताया गया है. कहा जाता है इस माह में जो नियमों को अपनाता है उस पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.
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