(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Vaishakh Purnima 2021: कब है वैशाख पूर्णिमा का व्रत? जानें इसकी संपूर्ण पूजा विधि और महत्व
इस बार पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी लगने जा रहा है, जिससे इस पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है.
जिस तरह हिंंदू धर्म में अमावस्या का काफी महत्व होता है, ठीक उसी तरह हर महीने आने वाली पूर्णिमा (Purnima) भी महत्व रखती है. पूर्णिमा पर केवल चंद्र देव की ही पूजा नहीं होती बल्कि इस दिन भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाती है. वैशाख माह की पूर्णिमा और भी विशेष है क्योंकि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था, जिन्हें भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है. यही कारण है कि वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) भी कहा जाता है जो इस बार 26 मई को है.
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
यूं तो हर पूर्णिमा विशेष मानी जाती है लेकिन कार्तिक पूर्णिमा और वैशाख माह की पूर्णिमा को सबसे खास माना गया है. इस बार वैशाख महीने की पूर्णिमा 26 मई को है और इस दिन किया गया व्रत और विष्णु और चंद्र पूजन अति शुभ फलदायी माना जाता है. वहीं इस बार पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) भी लगने जा रहा है, जिससे इस पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है.
वैशाख पूर्णिमा की पूजा विधि
- पूर्णिमा और अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व बताया गया है लेकिन कोरोना काल में घर से निकलकर नदियों तक जाना संभव न हो तो इस बार घर में ही पानी से भरी बाल्टी में कुछ बूंदे गंगाजल की डालकर उस पानी से स्नान करें.
- घर के मंदिर को पूरी तरह साफ करें और गंगाजल छिड़कें.
- देवताओं का आह्वान करें, सभी देवी देवताओं को प्रणाम करें.
- सबसे पहले भगवान विष्णु की तस्वीर, प्रतिमा पर हल्दी से अभिषेक करें.
- उन्हें तुलसी अर्पित करें. भगवान विष्णु की हर पूजा में तुलसी को अवश्य शामिल करना चाहिए.
- भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करें, उनकी आरती करें.
- सात्विक चीजों का भोग लगाएं और खुद व्रत का संकल्प लें.
- इस व्रत में चंद्रमा की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व है. इसलिए रात को चंद्र उदय होने के बाद चंद्रमा पर जल अर्पित करें और व्रत का पारण करें.
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