Vallabhacharya Jayanti 2024: वल्लभाचार्य जी को श्रीनाथ जी ने दिए थे दर्शन, बेहद रोचक है ये घटना, जानें
Vallabhacharya Jayanti 2024: 4 मई 2024 को वरुथिनी एकादशी पर वल्लभाचार्य जी की जयंती मनाई जाएगी.कहा जाता है कि वल्लभाचार्य जी का श्रीनाथ जी से गहरा संबंध है. जानें वल्लभाचार्य जी के बारे में रोचक बातें
![Vallabhacharya Jayanti 2024: वल्लभाचार्य जी को श्रीनाथ जी ने दिए थे दर्शन, बेहद रोचक है ये घटना, जानें Vallabhacharya Jayanti 2024 Date Significance katha in hindi shri nath ji devotee Vallabhacharya Jayanti 2024: वल्लभाचार्य जी को श्रीनाथ जी ने दिए थे दर्शन, बेहद रोचक है ये घटना, जानें](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/05/02/c1bfea207042fbdb92bc662936456b431714668389345499_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Vallabhacharya Jayanti 2024: श्रीकृष्ण के परम भक्तों में वल्लाभाचार्य जी का भी विशेष स्थान है. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी वरुथिनी एकादशी पर वल्लभाचार्य जी की जयंती मनाई जाती है. इस बार वल्लभाचार्य जयंती 4 मई 2024 को है.
ये उनका 545वां जन्म दिवस होगा. कहा जाता है कि वल्लभाचार्य जी का श्रीनाथ जी से गहरा नाता है. आइए जानते हैं कौन थे महाप्रभु वल्लभाचार्य जी, इनका इतिहास और विशेषता
कौन हैं महाप्रभू वल्लभाचार्य ? (Who is Vallabhacharya ?)
श्री वल्लभ का जन्म 1479 ई. में वाराणसी में रहने वाले एक साधारण तेलुगु परिवार में हुआ था. उनकी मां ने छत्तीसगढ़ के चंपारण में जन्म दिया था और उस वक़्त हिंदू-मुस्लिम संघर्ष चल चरम पर था. बालपन से ही वल्लभाचार्य जी ने वेदों और उपनिषदों का ज्ञान हासिल कर लिया था.
वह रुद्र सम्प्रदाय के लोकप्रिय आचार्य हैं, जो चार पारंपरिक वैष्णव सम्प्रदायों में से एक है, और यह विष्णुस्वामी से संबंधित है. वल्लभाचार्य जी को पुष्टि परंपरा का संस्थापक माना जाता है. वल्लभाचार्य को भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.
क्यों मनाई जाती है वल्लभाचार्य जयंती ?
वल्लभाचार्य जी श्रीकृष्ण (Krishna ji) के प्रबल अनुयायी थी. उन्होंने भक्ति आंदोलन के लिए भारत में कई स्थानों पर यात्रा की. वह श्रीनाथ जी की भक्ति में लीन रहते हैं उनका मानना था कि मोक्ष का रास्ता ईश्वर की सच्ची भक्ति से होकर ही प्राप्त होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार वैशाख कृष्ण एकादशी के शुभ दिन पर ही भगवान श्रीनाथ जी वल्लभाचार्य जी के सामने प्रकट हुए थे. इसलिए ये दिन बहुत खास माना जाता है.
वल्लभाचार्य जी का श्रीनाथ जी से नाता
पौराणिक कथा के अनुसार जब वल्लभाचार्य उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ रहे थे, तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत के पास एक असामान्य घटना देखी. उन्होंने देखा कि एक गाय रोजाना पहाड़ पर एक विशेष स्थान पर दूध दे रही थी. एक दिन, वल्लभाचार्य ने उस जगह को खोदने का विचार किया, जब वहां खुदाई की गई तो उन्हें श्रीकृष्ण की एक मूर्ति मिली.
ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने यहां श्रीनाथ जी (Shri Nath ji) के रूप में वल्लभाचार्य जी को दर्शन दिए. उनके समर्पण के लिए उन्हें गले लगाया. उस दिन से पुष्टि संप्रदाय के लोग भगवान कृष्ण की 'बाल' या युवा छवि की पूजा करते हैं.
सूरदास जी के लिए कृष्ण समान थे उनके गुरु
वल्लभाचार्य जी कृष्ण भक्त सूरदास जी (Surdas ji) के गुरु माने गए हैं. सूरदास जी ने एक बार कहा था कि श्रीकृष्ण और वल्लभाचार्य जी में उन्हें कोई अंतर नजर नहीं आता, ‘मेरे लिए दोनों एक समान हैं मैं जब श्रीकृष्ण पर लिखता तो वल्लभाचार्य जी की छवि मेरे मन में आ जाती थी’
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)