Varalakshmi Vrat 2023 Puja: सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन रखा जाने वाला वरलक्ष्मी व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. वरलक्ष्मी अर्थात वर देने वाली लक्ष्मी. इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. पौराणिक कथा के अनुसार ये व्रत धनदायक माना गया है.


इसके प्रताप से कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ता. इस साल वरलक्ष्मी व्रत बहुत महत्वपूर्ण संयोग लेकर रहा है. दक्षिण भारत में ये पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. आइए जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत की डेट, मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और शुभ योग.



वरलक्ष्मी व्रत 2023 मुहूर्त (Varalakshmi Vrat 2023 Muhurat)


25 अगस्त 2023 को सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है. सावन के आखिरी शुक्रवार के दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि काल तक अलग-अलग लग्न में मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.



  • सिंह लग्न पूजा मुहूर्त (प्रातः) - सुबह 05:55 - सुबह 07:42

  • वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त (अपराह्न) - दोपहर 12:17 - दोपहर 02:36

  • कुम्भ लग्न पूजा मुहूर्त (सन्ध्या) - शाम 06:22 - रात 07:50

  • वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त (मध्यरात्रि) - रात 10:50 - प्रात: 12:45, अगस्त 26


वरलक्ष्मी व्रत 2023 शुभ योग (Varalakshmi Vrat 2023 Shubh yoga)


वरलक्ष्मी व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, बुधादित्य योग का संयोग बन रहा है. इसमें मां लक्ष्मी की पूजा से समस्त कार्य सिद्ध होंगे.



  • रवि योग - 25 अगस्त 2023, सुबह 09.14 - 26 अगस्त 2023, सुबह 05.56

  • सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 05.55 - सुबह 09.14


वरलक्ष्मी व्रत पूजा सामग्री (Varalakshmi Vrat Samagri)


मां वरलक्ष्मी की पूजा के लिए पूजा चौकी, रंगोली, लाल कपड़ा, वस्त्र, नारियल, कुमकुम, आम के पत्ते, पान के पत्ते, दही, फल, फूल, दूर्वा, दीप, मौली, दर्पण, कंघा, केले, कलश, लाल वस्त्र, चंदन, हल्दी, अक्षत,  हल्दी,  पंचामृत, कपूर दूध, खीर, कमल गट्‌टा.


वरलक्ष्मी व्रत पूजा विधि (Varalakshmi Vrat Puja vidhi)



  • इस दिन स्त्रियां प्रात: काल स्नान के बाद लाल रंग के वस्त्र पहनती हैं, कुछ जगह सफेद वस्त्र भी पहनें जाते हैं. व्रत का संकल्प लें.

  • पूरे घर की सफाई के बाद मुख्य द्वार पर और पूजा स्थान पर रंगोली बनाएं.

  • अब पूजा वाले स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें. पूजा की चौकी लगाएं और उसपर लाल कपड़ा बिछाएं.

  • चौकी पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति धातु की मूर्ति स्थापित करें. क्षेत्रिय जगह पर महिलाएं हल्दी या मिट्टी का उपयोग करके देवी की छोटी रूपरेखा बनाकर उनकी पूजा करती हैं.

  • अब मां लक्ष्मी के दहीने ओर चावल रखकर उसपर जल से भरा कलश स्थापित करें. कलश में आम के पत्ते डाल और नारियल रखें. मां वरलक्ष्मी के मंत्र का उच्चारण करें.

  • अब वरलक्ष्मी मां का आव्हान करते हुए उन्हें चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला करें. सोलह श्रृंगार चढ़ाएं.

  • मौली बांधकर मां को नारियल अर्पित करें, फिर खीर का भोग लगाएं और वरलक्ष्मी व्रत की कथा सुनें. अंत में आरती कर प्रसाद वितरण करें.


वरलक्ष्मी व्रत पूजा मंत्र (Varalakshmi Vrat Mantra)


या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:


पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।


श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा


तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥


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