Varuthini Ekadashi 2020: उत्तर भारत और दक्षिणा भारत में वरूथिनी एकादशी व्रत को विशेष महत्व दिया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और उनका स्मरण किया जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त एकादशी का व्रत विधि पूर्वक करता है तो उसके सभी प्रकार के कष्टों को भगवान विष्णु दूर कर देते हैं. इस व्रत को करने से कई गुना पुण्य और सौभाग्य मिलता है.


व्रत का विधान
मान्यता है कि एकादशी का व्रत दशमी की तिथि से ही आरंभ करना चाहिए और द्वादशी की तिथि को व्रत का पारण यानि समापन किया जाना चाहिए.


वरूथिनी एकादशी व्रत-शुभ मुहूर्त


18 अप्रैल 2020- एकादशी व्रत की तिथि
17 अप्रैल 2020- रात 8 बजकर 03 मिनट से- एकादशी तिथि आरंभ
18 अप्रैल 2020- रात 10 बजकर 17 मिनट तक- एकादशी तिथि समाप्त
19 अप्रैल 2020- सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक- पारण का समय


ऐसे करें पूजा
वरूथिनी एकादशी को जो लोग व्रत रखते हैं वे इस दिन भगवान मधुसूदन और विष्णु के वराह अवतार की पूजा करते हैं. पूजा के समय शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

इस दिन कर सकते हैं भोजन
व्रत का आरंभ दशमी की तिथि से ही माना जाता है. लेकिन दशमी की तिथि में भोजन ग्रहण कर सकते हैं लेकिन एक बार ही भोजन ग्रहण करना होता है. भोजन पूरी तरह से सादा और सात्विक होना चाहिए. एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इस दिन सिर्फ फलाहार लें और द्वादशी की तिथि पारण करने के बाद भोजन ग्रहण करें. इस दान का भी विशेष महत्व है.


व्रत में ये गलतियां भूलकर भी न करें
एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र है. इस व्रत को अनुशासन के साथ पूर्ण करना चाहिए तभी लाभ मिलता है. इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन में भोजन नहीं करना चाहिए. मसूर की दाल, चना, चावल और शहद का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन संयम बरतना चाहिए. कोई भी गलत कार्य न करें. बुराई, लालच और क्रोध से दूर रहें. पान का सेवन इस दिन नहीं किया जाता है.


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