Varuthini Ekadashi: आज वरुथिनी एकादशी को बनें त्रिपुष्कर योग में भूलकर भी न करें ये काम, होगा अनिष्ट
Varuthini Ekadashi 2022: शास्त्र मत है कि जो व्यक्ति वरुथिनी एकादशी व्रत का विधि-विधान से पालन कर भगवान विष्णु का पूजा-पाठ करता है तो उसके सभी कष्ट व पाप मिट जाते हैं और मोक्ष को प्राप्त करता है.
Varuthini Ekadashi 2022: आज वरुथिनी एकादशी का व्रत है. हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. वरूथिनी एकादशी व्रत रखने और विधि-विधान से भगवान विष्णु जी की पूजा करने से उपासक के सभी कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं. इसके साथ ही भगवान विष्णु की कृपा हमेशा उस जातक के ऊपर बनी रहती हैं.
वरुथिनी एकादशी पर त्रिपुष्कर योग
शास्त्र के मतानुसार जब मंगलवार, शनिवार या रविवार के दिन द्वादशी, सप्तमी या द्वितीया तिथि होती है और उस समय कृत्तिका, पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराषाढ़ या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र होता है, तो त्रिपुष्कर योग बनता है. मान्यता है कि त्रिपुष्कर योग में जो भी कार्य किया जाता है, उसका फल तीन गुना प्राप्त होता है. त्रिपुष्कर योग 26 अप्रैल रात 12 बजकर 47 मिनट से 27 अप्रैल सुबह 05 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.
भूलकर भी न करें ये काम
वरुथिनी एकादशी व्रत में व्रती को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये तथा नीचे दिए गए कार्यों को भूलकर भी नहीं करनी चाहिए.
- वरुथिनी एकादशी व्रत में भूलकर भी जुआ न खेलें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश हो जाता है.
- वरुथिनी एकादशी व्रत में रात को सोना वर्जित है. रात को विष्णु जी के मंत्रों का जाप और जागरण करना चाहिए.
- वरुथिनी एकादशी व्रत में भूलकर भी चोरी न करें. चोरी करने से 7 पीढ़ियों को उसका पापा लगता है.
- इस दिन खान-पान और व्यवहार पर संयम रखना चाहिए. इस दिन सात्विक रहें.
- वरुथिनी एकादशी व्रत में व्रती को किसी भी अन्य व्यक्ति के साथ कठोर शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
- वरुथिनी एकादशी व्रत में क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए.
- वरुथिनी एकादशी व्रत के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त या जल्दी उठना चाहिए. वहीं, शाम के समय सोना भी नहीं चाहिए.
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