Bhog Offering Rules: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. कहते हैं किसी भी पूजा का फल तभी प्राप्त होता है, जब पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. सिर्फ भगवना की पूजा और आरती करना ही काफी नहीं होता. सनातन धर्म में भगवान को भोग भी लगाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि भगवान को भोग क्यों लगाते हैं. धर्म शास्त्रों में विधान है कि कुछ भी खाने से पहले भगवान को भोग लगाना चाहिए. तो आइए जानते हैं कुछ भी खाने से पहले या पूजा के बाद भगवान को भोग क्यों लगाया जाता है. 


क्यों लगाते हैं भगवान को भोग


मान्यता है कि किसी भी मांगलिक कार्य या शुभ कार्य के दौरान भगवान को प्रसाद चढ़ाया जाता है. उसी प्रकार पूजा और उपवास के दौरान भी भगवान को भोग लगाने की परंपरा है. कहते हैं कि भगवान को हमेशा शुद्ध और उचित आहार का ही भोग लगाया जाता है. पूजा और व्रत के दौरान किसी भी प्रकार की अपवित्र चीज को ग्रहण न करें इसलिए भगवान को भोग लगाए जाने की परंपरा है. जिससे हम शुद्ध और पवित्र आहार ही ग्रहण करें. इतना ही नहीं, अथर्ववेद में भी कहा गया है कि भोजन को हमेशा भगवान को अर्पित करना चाहिए, उसके बाद ही खुद ही ग्रहण करें. 


भोग लगाने के बाद करें ये कार्य


अकसर लोग प्रसाद चढ़ाने या भोग लगाने के बाद सोचते हैं कि इस प्रसाद का क्या किया जाए? इसे रखे रहने दें या खा लें. हम आपको बताते हैं कि भोग लगाने के बाग प्रसाद के साथ क्या करें.  कहते हैं कि नैवेद्य को धातु जैसे- सोने, चांदी या ताम्बे के पात्र, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए. कहते हैं कि चढ़ाया हुआ नैवेद्य एकदम निर्माल्य हो जाता है. इसलिए भोग लगाने के तुरंत बाद ही वहां से उठा लेना चाहिए. ज्योतिषियों के अनुसार प्रसाद को यथा संभव बांटना चाहिए और थोड़ा सा खुद खा भी लेना चाहिए.  


वास्तु के अनुसार देवता के पास रखा हुआ नैवेद्य निगेटिव एनर्जी छोड़ता है. देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत वहीं से हटा लेना चाहिए. ऐसा न करने पर विश्वकसेन, चण्डेश्वर, चन्डान्शु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें. 


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