वास्तुशास्त्र: परीक्षा में आना चाहते अव्वल तो ऐसे चयन करें दिशा
परीक्षा प्रतियोगिता में हर प्रतिभागी बेहतर प्रदर्शन करना चाहता है. वास्तुशास्त्र का प्रयोग कर प्रतिस्पर्धा में सफलता पाई जा सकती है.
Vastu Tips for Education: वास्तुशास्त्र पढ़ाई में भी मददगार होता है. सही दिशा में बैठना अध्ययन में प्रभावी परिणाम दिला सकता है. सामान्य वास्तु नियम के अनुसार पढ़ते समय चेहरा पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए. इससे विषय को समझने में आसानी होती है.
पढ़ने की दिशा में जितना अधिक खुला भाग होता है उतना बेहतर होता है. ऐसे में व्यक्ति को घर की पश्चिम दिशा में पढ़ाई कक्ष या टेबल की व्यवस्था करना चाहिए. दीवार से सटकर नहीं बैठना चाहिए. जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं तो पीठ दीवार से छूना नहीं चाहिए.
सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाई का स्थान पश्चिम और नैरक्त्य कोण के मध्य का होता है. अर्थात पश्चिम दिशा का दक्षिण की ओर वाला हिस्सा स्वाध्याय के लिए उत्तम होता है. भवन की पश्चिम-पश्चिम दक्षिण दिशा में बैठकर पूर्व मुखी होकर पढ़ाई करना सर्वाेत्तम होता है. थोड़े प्रयास में व्यक्ति विषय को शीघ्रता से समझ जाता है. वास्तु की सबसे भारी माने जाने वाली दिशा का भाग होने से व्यक्ति स्थिरता से बैठ पाता है. मन पर चंचलता सवार नहीं होती है.
टेबल या पढ़ाई वाले स्थान पर बहुत भरा-भरा अनुभव नहीं होना चाहिए. जितना खाली और सुव्यवस्थित लगेगा उतना परिणाम बेहतर रहेगा. पश्चिम की दिशा शनिदेव की मानी जाती है. शनिदेव संवेदनशीलता, गंभीरता और गहरी दृष्टि के कारक हैं. न्याय के देवता है. ऐसे में पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम कोण के मध्य में पढ़ाई करने से उक्त लाभ प्राप्त होते हैं. नतीजतन परीक्षा प्रतियोगिता में व्यक्ति अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन करता है.