Vastu Tips For New House: वास्तु शास्त्र का हमारे जीवन में विशेष महत्व है. किसी भी चीज को सही जगह और सही दिशा में रखने का नियम होता है. अगर उसे सही से न रखा जाए, तो उसके सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. उसी तरह गृह निर्माण के समय वास्तु के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है. जरा सी भी लापरवाही जीवन में अस्थिरता ला सकती है. मान्यता है कि वास्तु नियमों का सही तरह से पालन करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है. ऐसे में सभी को घर बनवाते समय वास्तु नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है. अगर आप भी घर बनवाने की सोच रहे हैं, तो इन नियमों का ध्यान रखना जरूरी है.
वास्तु अनुसार गृह निर्माण के नियम
- घर बनवाने से पहले किसी ज्योतिष से घर बनवाने की शुभ तिथि के बारे में मालूम कर लें. इसके बाद निश्चित तिथि पर पूजा कर गृह निर्माण कार्य शुरु करवाएं.
- वास्तु अनुसार इस बात का ध्यान रखे कि मकान की लंबाई को नौ बराबर भागों में बांटें. पांच भाग दाएं और तीन भाग बाएं. और बचे हुए भाग में मुख्य द्वार बनाएं. घर से बाहर निकलने के लिए दाएं तरफ प्रवेश द्वार बनवाएं.
- घर में प्रवेश के लिए एक ही द्वार होना चाहिए. वास्तु शास्त्र के नियम अनुसार घर के मुख्य द्वार पर तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए. घर में एंट्री करने के लिए उत्तर और पूर्व की दिशा बेहतर होती है.
- घर के बाहर उत्तर दिशा की ओर गूलर या पाकड़ आदि वृक्ष न लगाएं. इससे नेत्र संबंधी बीमारियां परिवार के सदस्यों को घेर लेती हैं. साथ ही, घर में बेर, केला, पीपल और अनार आदि के पेड़ लगाने से भी परहेज करें. इससे घर की बरकत गायब हो जाती है.
- मान्यता है कि घर का मुख्य द्वार उत्तर या पूर्व दिशा में होना शुभ होता है. दक्षिण दिशा में भूलकर भी द्वार न रखें. ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्ति का आगमन होता है.
- वास्तु अनुसार घर की उत्तर-पूर्व दिशा में बृहस्पति देव का वास बताया जाता है. इसलिए घर की उत्तर पूर्व दिशा में पूजा घर होना चाहिए. मंदिर में देवी-देवताओं का मुख पूर्व दिशा में रखें.
- घर की दक्षिण पूर्व दिशा में अग्निदेव का वास होता है. इसके लिए इस दिशा में रसोईघर होना उत्तम होता है.
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