Vastu Tips: वेदों में कुल 10 दिशाओं का वर्णन किया गया है. इसमें ऊपर और नीचे यानी आकाश और पाताल को भी दिशा माना गया है. वहीँ वास्तु शास्त्र में केवल 8 दिशाओं में वास्तु दोष होने और उनके निवारण के उपाय बताये गए हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी भी दिशा में वास्तु दोष होने से अशुभ फल मिलता है. आइये जानें दिशावार दोष को दूर करने के उपाय.
पूर्व दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा का स्वामी ग्रह सूर्य और देवता इंद्र हैं. यह दिशा देवताओं के लिए होती है. इस दिशा से संबंधित दोष को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र और आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. मुख्य रूप से यह दिशा मान-सम्मान, उच्च नौकरी, शारीरिक सुख, मस्तिष्क संबंधी रोग, नेत्र रोग और पिता के स्थान के लिए होती है.
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा का अधिपति ग्रह शनि और देवता वरुण हैं. यह दिशा सफलता और संपन्नता प्रदान करने वाली दिशा होती है. इस दिशा में दोष होने से कुष्ठ रोग, शारीरिक पीड़ा, बात विकार होता है. असफलता मिलती है. प्रसिद्धि में कमी आती है. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए शनिदेव की उपासना करनी चाहिए.
उत्तर दिशा
उत्तर दिशा के अधिपति ग्रह बुध और देवता कुबेर है. इस दिशा में दोष होने से व्यक्ति के जीवन में सदैव आर्थिक तंगी बनी रहती है. सफलता नहीं मिलती. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए बुध यंत्र की स्थापना और गणेश एवं कुबेर की पूजा करनी चाहिए.
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा के अधिपति ग्रह मंगल और देवता यम हैं. इस दिशा में दोष होने से पारिवारिक मतभेद बने रहते हैं. संपत्ति को लेकर भाई -बंधुओं में विवाद चलता है. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए नियमित रूप से हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए.
उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण)
ईशान कोण का स्वामी ग्रह गुरु और देवता शिव हैं. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए ईशान कोण को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए.
दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय कोण)
इस दिशा के अधिपति ग्रह शुक्र और देवता अग्नि हैं. इस दिशा में वास्तु दोष होने से वैवाहिक जीवन में बाधा, कड़वाहट, असफल प्रेम संबंध जैसी समस्याएं बनी रहती हैं. इसके दोष को दूर करने के लिए घर में शुक्र यंत्र की स्थापना करनी चाहिए.
दक्षिण-पश्चिम दिशा (नैऋत्य कोण)
इस दिशा के अधिपति ग्रह राहु-केतु और देवता नैऋति हैं. इस दोष के निवारण हेतु राहु-केतु के निमित्त सात प्रकार के अनाज का दान करना चाहिए.
उत्तर-पश्चिम दिशा (वायव्य कोण)
इस दिशा का अधिपति ग्रह चंद्र और देवता वायु हैं. इस दिशा में दोष होने से मानसिक परेशानी, अनिद्रा, तनाव अस्थमा और प्रजनन संबंधी रोग होते हैं. इस दिशा के दोष को दूर करने के लिए नियमित शिवजी की उपासना करनी चाहिए.