घर के वास्तु में प्रत्येक चीज का परफेक्ट होना जरूरी होता है. दरवाजों की सटीक फिटिंग भी वास्तु का महत्वपूर्ण भाग है. शोर करते दरवाजे घर के सुख के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं. दरवाजों के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि वे अच्छी लकड़ी के बने हों, जिनमें धूप हवा और पानी सहकर भी पूर्ववत् आकार में बने रहने की क्षमता हो. आकार प्रभावित होने पर दरवाजा टेढ़ा मेढ़ा हो सकता है. इससे घर में धन का क्षय होता है. वर्किंग कैपिटल प्रभावित होती है.


घर के सबसे आवश्यक द्वार पर लोहे के शोर करने वाले पलड़े नहीं होने चाहिए. इन्हें लकड़ी का बनाया जाना ही शुभ होता है. खोलते-बंद करते समय दरवाते आवाज करते हैं तो इन्हें जितनी जल्दी हो ठीक करवा लेना चाहिए. ऐसी स्थिति में घर के सदस्यों में बैर वैमनस्य और झगड़ा बढ़ता है. सहनशीलता में कमी आती है. छोटी बातें बड़ी बन कर विवाद का कारक बन जाती हैं.


दरवाजों के निर्माण में आयताकार संतुलन भी आवश्यक है. बहुत लंबे और संकरे दरवाजे शुभकारक नहीं होते हैं. इसी प्रकार घरों में वर्गाकार दरवाजो से भी बचा जाना चाहिए. अत्यंत कम ऊंचाई के दरवाजे घरों में संकीर्ण मानसिकता को बढ़ावा देते हैं. दरवाजा औसत ऊंचाई वाले होना ही बेहतर होता है.


इसी प्रकार दो पलड़ों के दरवाजे एक पलड़े के दरवाजे से अधिक सकारात्मक ऊर्जा का संचरण करते हैं. दरवाजों में ऑइलिंग नियमित कराते रहना चाहिए. साथ ही घुन एवं कीट प्रकोप से बचाव के उपाय भी लेने चाहिए.