अक्सर मकान मालिक भ्रमित रहते हैं कि उन्हें स्वयं कहां रहना चाहिए. किराएदार को कहां रहने के लिए घर देना चाहिए. वास्तुशास्त्र में इसका स्पष्ट हल बताया गया है. घर के मुखिया और उसके परिवार को भवन की ऊपरी मंजिलों पर रहना चाहिए. निचली मंजिलों में किराएदार को ठहराना चाहिए.


अक्सर देखने में आता है कि घर का स्वामी बड़ा परिवार होने या घर में बुजुर्ग होने के कारण ग्राउंड फ्लोर पर रहना पसंद करते हैं. यह स्थिति उस समय तक सकारात्मक रहती है जब तक ऊपरी मंजिलों पर भी परिवार के सदस्य ही निवास करते हैं. सामान्यतः घर की ऊपरी मंजिलों पर अध्ययन कक्ष रखा जाता है. यहां विद्यार्थी अध्ययन करते हैं. मेहमानों के लिए भी ऊपरी मंजिलों का उपयोग उचित रहता है.


इसका कारण है कि मेहमान कुछ दिनों के लिए ही आते हैं. मेहमानों का आना-जाना बना रहने से वे सकारात्मक बने रहते हैं. लेकिन समस्या तब आती है जब किराएदार को ऊपरी मंजिल रहने को दे दी जाती है. इससे किराएदार लंबे अंतराल तक वहां रहता है. इस स्थिति में उस पर घर मालिक का नियंत्रण कम होता जाता है.


इसका यही सरल उपाय है कि उसे नीचे की मंजिल में रहने दिया जाए. ऊपरी मंजिल में मालिक और उसका परिवार रहे. यदि ऐसी स्थिति बन पाना कठिन है तो ऊपरी मंजिल को खाली रखना बेहतर होता है. अलग जीने और द्वार होने से मालिक का हस्तक्षेप प्रभावी बना रह सकता है. हालांकि सबसे सही यही है कि मालिक ऊपरी मंजिलों में स्वयं रहे.