लोगों को घरों में मंदिर निर्माण में विभिन्न बातों का ध्यान रखना जरूरी है. वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन कर घर में मंदिर निर्माण करना ही श्रेयष्कर होता है. मंदिर दीवार पर इतनी ऊंचाई पर बनाया जाए कि मूर्तियों के पैर पूजा करने वाले के कंधे के नीचे न जाएं. घर के मंदिर में पूजा के थोड़ी देर बाद पर्दा लगाएं. रात्रि में निश्चित पट और पर्दे का प्रयोग करें. जमीन में मंदिर न बनाएं. ऐसी जगह पर भी मंदिर न बनाएं जहां लोगों का बहुतायत में आना जाना होता हो.
मंदिर सदैव उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्वाेन्मुखी बनाए जाने चाहिए. प्रतिमाएं यथासंभव छोटी रखें. इसमें बड़ी मूूर्ति का आकार 10 इंच से अधिक नहीं होना चाहिए. घर में मंदिर एकांत और पवित्र जगह पर बनाएं. जीनों के नीचे मंदिर न बनाएं. मंदिर में मौजूद खंडित प्रतिमाओं और रंग छोड़ चुकीं तस्वीरों को नहीं रखना चाहिए. मंदिर निर्माण करने से अव्वल तो बचना चाहिए. पूजा के लिए नजदीक के स्थापित मंदिर जाना अधिक शुभ है. वहां की उूूर्जा अधिक प्रभावशाली और सकारात्मक होती है.
एक सामान्य नियम के अनुसार घर में मंदिर हजार वर्ग फुट के मकान में एक फुट के आले जितना बड़ा होना चाहिए. ध्यान रखें, मंदिर की छत सपाट नहीं होना चाहिए. गुंबदनुमा होनी चाहिए. बाथरूम लगी दीवार पर मंदिर नहीं बनाना चाहिए. मंदिर लकड़ी और संगमरमर के बनाया हुआ होना चाहिए. शीशे अथवा कांच के मंदिर के प्रयोग से बचना चाहिए. मंदिर वाले कक्ष में हल्के रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिए. गहरे और चटख रंगों से परहेज करें.