Krishan Leela: भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी का प्रेम आज भी अमर है. भले ही दोनों कभी एक नहीं हो पाए, लेकिन आज भी दोनों की प्रेम कहानी युवाओं के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्णजी की 16108 पत्नियां थीं, लेकिन सिर्फ आठ पत्नियां ही उनकी पटरानियां थीं. इनमें सर्वाधिक चर्चित नाम महारानी रुक्मिणी का है, जिनसे कृष्ण ने अगवा कर विवाह किया था. इसके अलावा अलग-अलग घटनाओं के चलते उनका विवाह सत्यभामा, जाम्बवंती, नाग्नजीति, कालिंदी, मित्रवृंदा, भद्रा और लक्ष्मणा से हुआ. इनके अलावा एक किवंदती यह भी है कि श्रीकृष्ण को परिस्थितिवश 16 हजार युवतियों से विवाह करना पड़ा, जो एक राक्षस द्वारा बंधक बनाए जाने के बाद कृष्ण के जरिए छुड़वाई गई थीं.
कहा जाता है कि द्वापरयुग में नरकासुर ने बलि चढ़ाने के लिए अलग-अलग राज्यों की राजकुमारियों को बंधक बना लिया था, जिन्हें छुड़ाने के लिए श्रीकृष्ण ने असुर का वध किया और सभी राजकुमारियों को उनके परिजनों के पास भेज दिया था. मगर असुर के पास रहने के चलते परिजनों ने चरित्र पर प्रश्न उठाते हुए उनका परित्याग कर दिया. ऐसे में कृष्ण ने इन सभी से विवाह कर लिया. इस तरह उनकी 16108 रानियां हो गईं.
हर रानी से दस पुत्र एक पुत्री जन्मे
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रीकृष्ण को अपनी हर रानी से दस पुत्र और एक पुत्री हुई, जो कुल मिलाकर 177188 संतान हुईं. हालांकि कुछ कथाओं में यह भी कहा गया है कि असुर से मुक्त कराई रानियों से कृष्णजी ने विवाह जरूर किया, लेकिन कोई रिश्ता नहीं बनाया था. ऐसे में सिर्फ आठ पटरानियों से उन्हें कुल 80 पुत्र और आठ पुत्रियां हुईं.
पैर के मामूली घाव से मृत्यु को प्राप्त हुए द्वारिकाधीश
दुर्वासा ऋषि के श्राप के चलते श्रीकृष्ण की तलवे में लगे एक तीर के चलते मौत हुई. कहा जाता है कि एक बाद द्वारिका आए ऋषि दुर्वासा का श्रीकृष्ण ने खूब स्वागत सत्कार किया. इस दौरान दुर्वासा ने कृष्ण से अपने पूरे शरीर में खीर लगाने को कहा था. कृष्ण ने ऐसा ही किया, लेकिन उनके पैरों को छोड़ दिया. इससे नाराज होकर ऋषि ने श्राप दिया कि कृष्ण अपने पैर की वजह से मरेंगे. इस क्रम में एक दिन श्रीकृष्ण जब जंगल के बीच लेटकर समाधि में थे तभी एक शिकारी जारा ने उनके पैर को हिरण का मुंह समझकर तीर चला दिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई.
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