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Vat Purnima Vrat 2021: आज वट पूर्णिमा व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और व्रत कथा
Vat Purnima Vrat 2021: साल 2021 की वट पूर्णिमा व्रत आज 24 जून को है. यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को रखा जाता है. वट पूर्णिमा व्रत से अखंड सौभाग्य होने एवं पति की लंबी उम्र प्राप्त होने की मान्यता है.
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Vat Purnima Vrat 2021 Puja Vidhi Time: हिंदी पंचांग के मुताबिक़, आज 24 जून ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि है. सुहागिन महिलायें अपने पति की लंबी उम्र होने के लिए इस दिन वट पूर्णिमा व्रत रखती हैं. वट पूर्णिमा व्रत का पर्व विशेष तौर पर गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा समेत दक्षिण भारत में मनाया जाता है. ये पर्व ठीक उसी तरह से मनाया जाता है जिस तरह से उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत का पर्व मनाया जाता है. जहां वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है, वहीँ वट पूर्णिमा व्रत ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है यह व्रत रखने सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल प्राप्त होता है तथा घर में सुख,शांति और पति की लंबी उम्र होती है.
कब है वट पूर्णिमा की तिथि {Vat Purnima Vrat 2021 Date and Time}:
साल 2021 का वट पूर्णिमा व्रत आज यानी 24 जून 2021 दिन गुरुवार को रखा जायेगा. इसी दिन ज्येष्ठ पूर्णिमा और कबीर दास जी की जयंती भी है.
वट पूर्णिमा तिथि और मुहूर्त
- वट पूर्णिमा व्रत तिथि: 24 जून 2021, गुरुवार
- वट पूर्णिमा व्रत तिथि प्रारंभ: 24 जून 202, गरुवार सुबह 03:32
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 जून 2021,शुक्रवार रात 12:09
- वट पूर्णिमा व्रत का पारण तिथि: 25 जून 2021
वट पूर्णिमा व्रत कथा
वट पूर्णिमा व्रत सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती होने और पति की लंबी आयु होने के लिए रखती हैं. वट पूर्णिमा व्रत के दिन महिलायें सत्यवान- सावित्री की कथा सुनती हैं. कथा के अनुसार, अश्वपति नाम के राजा की पुत्री सावित्री थी. सावित्री के विवाह के समय नारद जी ने सत्यवान के अल्पायु होने की भविष्यवाणी की थी. इसके जानने के बाद भी सावित्री ने अल्प आयु सत्यवान से ही विवाह किया. विवाह के एक वर्ष के बाद एक दिन सत्यवान लकड़ी काटते-काटते थक गया और वह बरगद के पेड़ की नीचे सोने लगा. नींद से न जागने पर सावित्री को नारद जी की भविष्यवाणी याद आयी. यमराज को सत्यवान का प्राण ले जाते देखकर सावित्री ने यमराज को स्वयं 100 पुत्रों की मां होने के वरदान की याद दिलाई. तब यमराज ने सावित्री के तप और सतीत्व को देख कर सत्यवान के प्राण लौटा दिए. यमराज के प्राण लौटते ही सत्यवान जीवित हो गए. यह घटना बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी. इसी कारण से इस दिन को वट सावित्री या वट पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं.
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