Vat Purnima Vrat Rules, Mistakes: हिन्दू धर्मशास्त्र में वट पूर्णिमा का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा ज्येष्ठ पूर्णिमा को रखा जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति और बच्चों की भलाई के लिए व्रत रखती है और बरगद वृक्ष की पूजा करती हैं. उसके बाद 108 बार उसकी परिक्रमा करती हैं. वट पूर्णिमा सावित्री का व्रत इस बार 14 जून को रखा जाएगा. बरगद वृक्ष बहुत ही लंबी आयु का होता है. इस लिए यह मान्यता है कि इनके पूजन और परिक्रमा से पति भी दीर्घायु होता है. पौराणिक मान्यता है कि इस समय में सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाने के लिए यह व्रत रखा था.


हिन्दू धर्म में वट पूर्णिमा व्रत रखने के कुछ नियम बनाए गए हैं. व्रत रखने वाली महिलाओं को इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. अगर इन नियमों में छोटी सी त्रुटि भी व्रती के लिए भारी पड़ सकती है.


वट पूर्णिमा व्रत के नियम



  1. व्रत रखने वाली महिला को वट पूर्णिमा व्रत के दिन नीले, काले या सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए.

  2. इन्हें काली नीली और सफ़ेद रंग की चूड़ियां भी नहीं पहननी चाहिए.

  3. जो महिला पहली बार वट पूर्णिमा का व्रत रख रहीं हैं. उन्हें व्रत और पूजन के समय सुहाग की सारी सामग्री मायके की ही इस्तेमाल करनी चाहिए.


पूर्णिमा वट सावित्री व्रत 2022 तिथि एवं शुभ मुहूर्त 



  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 जून सोमवार को रात 09 बजकर 02 मिनट से

  • ज्येष्ठ की पूर्णिमा तिथि का समापन : 14 जून मंगलवार को शाम 05 बजकर 21 मिनट

  • उदयातिथि की मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 14 जून मंगलवार को रखा जाएगा.




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