Vat Savitri 2024: हिंदू धर्म में पूर्वांचली महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए कई व्रत रखती हैं. इनमें एक प्रमुख व्रत है 'वट सावित्री' का व्रत. यह व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाता है. आज वट सावित्री की पूजा के दिन सुहागन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ वट सावित्री की पूजा की. सुहागनों के लिए आज का दिन काफी महत्वपूर्ण होता है. आज के दिन सुहागन महिलाएं वट सावित्री की पूजा के साथ उनकी कथा का पाठ भी करती हैं.
बरगद के पेड़ की पूजा कर मौली बांधते हुए महिलाओं ने की परिक्रमा
पूर्वांचली सुहागन महिलाओं के बीच इस व्रत की काफी अहमियत है. इस दिन सुहागन महिलाएं रीति-रिवाजों के अनुसार हाथों में मेहंदी रचाकर, सिंदूर-श्रृंगार कर वट सावित्री की पूजा के दिन बरगद के पेड़ की पूजा कर मौली बांधते हुए बरगद के पेड़ की परिक्रमा करती हैं. देशभर में इस व्रत को सुहागन महिलाओं द्वारा बड़े ही उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है.
सावित्री के पति प्रेम और पतिव्रत धर्म को स्मरण कर अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं करती हैं प्रार्थना
हिन्दू धर्म मे वट सावित्री की पूजा को बहुत ही अहम माना जाता है. व्रतधारी महिलाएं वट सावित्री की पूजा में अखंड सौभाग्य के आशीर्वाद की कामना करते हुए कथा का पाठ और श्रवण करती हैं. वट सावित्री की पूजा करने वाली महिलाएं व्रत रखकर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं. आज के दिन पूजा के बाद व्रत में आम का मुरब्बा, गुड़ या चीनी जरूर खाया जाता है. वहीं भगवान को पूड़ी, चना और पूआ का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही लौटाए थे सत्यवान के प्राण
ऐसी मान्यता है कि सावित्री ने अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को किया था. अपने सतीत्व और कठोर तपस्या से सावित्री ने यमराज को अपने पति सत्यवान के प्राण लौटाने पर विवश कर दिया था. यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लौटाए थे और वरदान भी दिया था कि जो सुहागिने वट वृक्ष की पूजा करेंगी उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद मिलेगा. तभी से सुहागनें इस पूजा को कर अपने पति की रक्षा और लंबी उम्र की कामना करती आ रही हैं.
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