Vat Savitri Vrat Date 2022: वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं का व्रत है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्रती का सुहाग यानी पति की उम्र लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखी रहता है. सुहागिन महिलाएं इस व्रत को बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ रखती है. पंचांग के अनुसार यह व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है. इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 2 दिन पड़ रही है. इस लिए इस बार वट सावित्री व्रत किस दिन रखा जाए. इसमें संशय बन गया है.
स्कंद पुराण और भविष्योत्तर पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है. महाराष्ट्र में यह व्रत इसी तिथि को रखा जाता है. निर्णयामृत आदि के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाना चाहिए. इसी मतानुसार बंगाल, बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश में वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को रखा जाता है. चूंकि अमावस्या 29 मई को दोपहर 02:54 बजे से लग रही है. तथा इसकी समाप्ति 30 मई, 2022 को शाम 04:59 बजे तक होगी. ऐसे में यह व्रत उदया तिथि के अनुसार 30 मई को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत 2022 तिथि
- अमावस्या तिथि से प्रारंभ: 29 मई, 2022 दोपहर 02:54 बजे से
- अमावस्या तिथि की समाप्ति: 30 मई, 2022 को शाम 04:59 बजे तक
- वट सावित्री व्रत 30 मई 2022 सोमवार को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत पूजा विधि
व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं सारा सामान एक टोकरी में लेकर बरगद वृक्ष के नीचे जाती हैं. वहां पर रोली सिंदूर से बरगद के वृक्ष पर तिलक लगाती हैं. कच्चा सूत बांधकर 108 बार परिक्रमा करके 108 दाने मूंगफली के समर्पित करती है. लोटे का जल बरगद वृक्ष के जड़ों में डालकर पेड़ को सींचते हैं. वट वृक्ष से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. विधि विधान से पूजा अर्चना आरती करके वापस आती है.
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