Ved Vaani: धर्मग्रंथ ‘वेद’ के चार वेदों में क्या है, जानिए वेद और उपवेद के बारे में
Ved Vani: वेद हिंदू धर्म का सबसे पुराना ग्रंथ है, जिसे महर्षि वेदव्यास द्वारा चार भागों में विभाजित किया गया है. उपवेदो भी चार प्रकार के बताए गए हैं. जानते हैं वेद और उपवेदों के बारे में विस्तार से.
Ved Vaani, Vedas: वेद को हिंदू धर्म और दुनिया का पहला धर्मग्रंथ माना गया है. सामान्य तौर पर वेद का अर्थ ‘ज्ञान’ से है. इसमें पुरातन ज्ञान-विज्ञान का भंडार है, जिससे पीढ़ी दर पीढ़ी मानव का कल्याण होता है. वेदों में देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, औषधि, विज्ञान, भूगोल, धर्म, संगीत, रीति-रिवाज आदि जैसे कई विषयों का ज्ञान वर्णित है. वेद इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे किसी मनुष्य द्वारा नहीं बल्कि ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखा गया है. इसलिए भी वेद को ‘श्रुति’ कहा जता है.
कितने प्रकार के हैं वेद, क्या लिखा है वेदों में
चार प्रकार के हैं वेद
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
क्या लिखा है वेदों में
ऋग्वेद (Rigveda)
ऋग्वेद सबसे पहला वेद है, जो पद्घात्मक है. इसमें इंद्र, अग्नि, रुद्र,वरुण, मरुत, सवित्रु ,सूर्य और दो अश्विनी देवताओं की स्तुति है. ऋग्वेद के 10 अध्याय में 1028 सूक्त में 11 हजार मंत्र है. इसमें लगभग 125 ऐसी औषधियों के बारे में भी बताया गया है, जो 107 स्थानों पर पाई जाती है. इस वेद की 5 शाखाएं हैं- शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन और मंडूकायन.
यजुर्वेद (Yajurveda)
यजुर्वेद में अग्नि के माध्यम से देवताओं को दिए जाने वाले आहुति के बारे में बताया गया है. इसमें यज्ञ की विधियां और मंत्रों के बारे में वर्णन मिलता है. इसके अलावा तत्वज्ञान के बारे में भी यजुर्वेद में बताया गया है. इस वेद की दो शाखाएं है एक शुक्ल और दूसरा कृष्ण. कृष्ण (अंधेरा) यजुर्वेद के लिए 101 और शुक्ल (उज्ज्वल) यजुर्वेद के लिए 17 शाखाएं हैं.
सामवेद (Samaveda)
‘साम’ का अर्थ गीत-संगीत से होता है. सामवेद में श्लोक के माध्यम से गाए जाने वाले हैं. इसलिए इस वेद का संगीत शास्त्र में विशेष महत्व होता है. इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवों का जिक्र किया गया है. इस वेद के अधिकांश श्लोक ऋग्वेद से लिए गए हैं और कुछ नए श्लोक को जोड़ा गया है, तो वहीं कुछ को दोहराया गया है. कुल मिलाकर सामवेद में 1875 श्लोक हैं. ये श्लोक जपने नहीं बल्कि गाए जाने के लिए हैं. इसलिए इसे ‘सामगान’ भी कहा जाता है.
अथर्ववेद (Atharvaveda)
अथर्ववेद में रहस्यमयी विद्घाओं, चमत्कार और आयुर्वेद का वर्णन मिलता है, जो सांसारिक सुखों को प्राप्त का उपयोगी कर्मकांड है. इसमें वर्णन किया गया है कि रोगों को कैसे ठीक किया जाए, पापों और उसके प्रभावों को कैसे दूर किया जाए और धन प्राप्त करने के क्या साधन है. अर्थवेद के 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है. इसके आठ खंड में धातु वेद और भेषद वेद मिलते हैं.
उपवेदों के प्रकार
वेद की तरह उपवेद के भी चार प्रकार हैं जोकि इस प्रकार से हैं-
- आयुर्वेद- यह रोगों के लिए औषधि या हर्बल उपचार से संबंधित है.
धनुर्वेद: धनुर्वेद में शत्रु से बचाव और युद्ध के तरीकों के बारे में बताया गया है.
गंधर्ववेद: गंधर्ववेद संगीत शास्त्र से संबंधित है.
अर्थशास्त्र: अर्थशास्त्र राजनीति और आर्थिक दृष्टिकोण से संबंधित है.
ये भी पढ़ें: Puja Path: पूजा-पाठ में क्यों शुभ माने जाते हैं गोबर के कंड़े, जानिए इसका धार्मिक महत्व
Disclaimer:यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.