रावण की लंका में कौन था रामभक्त, लंकापति को मारने का राम को बताया था सीक्रेट
Ramayan: रावण महापंडित, वेदों का ज्ञाता, शिव का भक्त और शक्तिशाली था, जिसका वध करना भगवान राम के लिए भी आसान नहीं था. तब रावण के भाई ने ही रामजी को उसकी मृत्यु का रहस्य बता दिया, जिससे रावण का वध हुआ.
Ramayan: ‘घर का भेदी लंका ढाए’ यह कहावत बहुत प्रचलित है और आपने भी जरूर सुनी होगी. आमतौर पर घर का ही कोई सदस्य घर-परिवार के रहस्य को उजागर कर नाश का कारण बनता है तो उसे घर का भेदी कहा जाता है. इस कहावत का उपयोग विभीषण के संदर्भ में किया जाता है.
कौन था विभीषण? (Who is Vibhishana)
विभीषण (Vibhishana) रामायण के प्रमुख पात्र में एक है. वे रावण (Ravana) के छोटे भाई हैं. इसके साथ ही वह रामभक्त भी हैं. लंका में रहते हुए विभीषण ने राम की भक्ति की और हमेशा धर्म-पथ पर चलने का प्रण लिया. जब रावण सीता का हरण कर लंका ले आए तो विभीषण ने रावण से कहा कि, पराई स्त्री का हरण महापाप है. साथ ही विभीषण ने सीता को वापस लौटा देने की सलाह दी. लेकिन रावण ने हमेशा की तरह अपने छोटे भाई विभीषण की एक न सुनी. आखिरकार रावण ने विभीषण को लंका से भी निकाल दिया. रावण ने जब विभीषण को लंका से निकाल दिया तब वे अपने प्रभु श्रीराम के शरण में चले गए.
रावण का वध नहीं था आसान
इधर सीता को वापस लाने के लिए राम के साथ युद्ध करना जरूरी था. लेकिन रावण का वध करना इतना आसान नहीं था. क्योंकि रावण ने ब्रह्मा की तपस्या कर अमरता का वरदान मांगा था. इस पर ब्रह्मा जी ने उसे अमरता का वरदान तो नहीं दिया. लेकिन रावण की नाभि में अमृत दे दिया. इसके बाद रावण को मृत्यु का भय नहीं था.
विभीषण ने राम को बताया रावण की मृत्यु का सीक्रेट (Secret of Ravana Death)
जब रावण और राम के बीच युद्ध हुआ था तब रामजी उनका वध नहीं कर पाए. फिर विभीषण ने रामजी को रावण को मारने का सीक्रेट बताया. विभीषण ने राम से कहा कि, आप रावण की नाभि में प्रहार करें. रामजी ने ऐसा ही किया, जिससे रावण के नाभि का अमृत कलश टूट गया और वह मारा गया.
मंदोदरी की एक गलती बनी रावण की मृत्यु का कारण
लेकिन रावण की मृत्यु साधारण तीर से संभव नहीं थी. बल्कि भगवान राम ने विशेष दिव्यास्त्र से रावण का वध किया था. कहा जाता है कि रावण की मृत्यु के पीछे विभीषण के साथ ही मंदोदरी (Mandodari) का भी हाथ था. मंदोदरी की एक गलती रावण की मृत्यु का कारण बनी. दरअसल ब्रह्मा जी (Brahma) ने जब रावण की नाभि में अमृत दिया था, तब उसे एक दिव्यास्त्र के रूप में तीर भी दिया. ब्रह्मा जी ने कहा कि, इसी तीर के प्रहार से ही तुम्हारी मृत्यु संभव है. विभीषण ने उस तीर के बारे में श्रीराम को बताया. लेकिन तीर कहां है इसके बारे में विभीषण को कोई जानकारी नहीं थी. तब रामजी ने तीर का पता लगाने की जिम्मेदारी हनुमान जी को सौंपी.
हनुमान की चालाकी से हासिल हुआ दिव्यास्त्र
हनुमान जी (Hanuman ji) ज्योतिषी का रूप धारण कर लंका (Lanka) पहुंच गए और लोगों का भविष्य बताने लगे. मंदोदरी को भी भविष्य जानने की इच्छा हुई. हनुमान ने उससे कहा कि, ब्रह्मा जी के दिए तीर से रावण को खतरा है. तब मंदोदरी ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता तीर तो रावण के सिंहासन के पीछे सुरक्षित है. तीर का पता चलते ही हनुमान ने वहां तीर लेकर श्रीराम को दे दिया और इसके बाद ब्रह्मा जी के दिए उसी तीर से रावण का वध हुआ.
रावण का वध श्रीराम के हाथों होना तय था, जोकि हुआ. लेकिन इसमें विभीषण की अहम भूमिका मानी जाती है. इसलिए रावण का वध करने के बाद राम ने विभीषण को लंका नरेश (Lanka Naresh) बना दिया और साथ ही अमरता का वरदान भी दिया. इसलिए विभीषण भी सप्त चिंरजीवियों में एक हैं.
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