Vidur Niti : महाभारत का जिन्हें ज्ञान है. वे विदुर को भलीभांति जानते हैं. विदुर हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री थे. विदुर को धर्मराज का अवतार माना गया है. महाभारत के लोकप्रिय पात्रों में से एक विदुर भी हैं. विदुर ने जीवन में कभी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा. वे हमेशा सत्य ही बोलते थे. राजा धृतराष्ट्र के वे सलाहकार थे. धृतराष्ट्र विदुर से हर मामले में परामर्श लिया करते थे. विदुर की शिक्षाएं ही विदुर नीति कहलाती हैं. आइए जानते हैं कि आज की विदुर नीति


भाषा की मर्यादा का हमेशा ध्यान रखें


जो व्यक्ति भाषा की मर्यादा का ख्याल नहीं रखते हैं उन्हें भरे दरबार में लज्जित होना पड़ता है. भाषा की विनम्रता व्यक्ति का आभूषण होता है. संवाद करते हुए सदैव भाषा और शब्दों के चयन पर ध्यान रखना चाहिए. आवेश में आकर कभी भी भाषा को खराब नहीं करना चाहिए. जिन लोगों की भाषा खराब होती है उनसे लोग धीरे धीरे दूर होने लगते हैं. भाषा जितनी संतुलित और संयमित होगी व्यक्तित्व उतना सुंदर और लोकप्रिय होगा. किसी भी सूरत में भाषा को अमर्यादित नहीं करना चाहिए. ध्यान रहे वाणी की सुंदरता भाषा से ही है. भाषा के कारण ही पराए भी अपने हो जाते हैं और अपने भी पराए हो जाते हैं. विद्वान व्यक्ति की भाषा में विनम्रता होती है. भाषा में अगर विनम्रता नहीं है तो व्यक्ति कितने ही शास्त्रों का ज्ञाता हो, उसे विद्वान नहीं माना जा सकता है.


घमंड नहीं करना चाहिए


व्यक्ति को किसी भी चीज का घमंड नहीं करना चाहिए. जो घमंड करते हैं वे अज्ञानी होते हैं. क्योंकि ज्ञानी व्यक्ति कभी किसी चीज को लेकर घमंड नहीं करता है. घमंड करने वाला व्यक्ति इस बात को नहीं जानता है कि इस धरती पर कोई भी वस्तु स्थाई नहीं है न होती है. न धन और न सुंदरता कोई भी स्थिर और स्थाई नहीं है. एक  निश्चित समय के बाद ये सभी चीजें नष्ट हो जाती हैं. इसलिए घमंड नहीं करना चाहिए. घमंड करने वाले व्यक्ति को एक दिन अपयश का सामना करना पड़ता है. समाज में ऐसे लोगों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है


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