Vidur Niti: कोई लाख छिपाए लेकिन मन के भाव चेहरे पर आ ही जाते हैं
विदुर जीवनभर सत्य के मार्ग पर चलें. इस कारण वे सभी के प्रिय थे. हर कोई उनका सम्मान करता था. विदुर की शिक्षाएं व्यक्ति को अच्छा आचरण करने के लिए प्रेरित करती हैं.
विदुर नीति: विदुर महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों में से एक थे. वे धर्मराज के अवतार माने गए हैं. वे हमेशा सत्य बोलते थे. इस खूबी के कारण वे कौरव और पांडव भी उन्हें सम्मान देते थे. वे राजा धृतराष्ट्र के महामंत्री थे. धृतराष्ट्र महत्वपूर्ण विषयों पर विदुर की सलाह अवश्य लेते थे. भगवान श्रीकृष्ण भी विदुर के प्रशंसक थे. विदुर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने धृतराष्ट्र से कहा था कि महाभारत का युद्ध विनाश का कारण बनेगा. विदुर की शिक्षाएं को ही विदुर नीति कहा जाता है. आइए जानते हैं आज की विदुर नीति-
मन के भाव चेहरे पर दिखाई देते हैं
विदुर के अनुसार मन की बात को व्यक्ति लाख छिपाने की कोशिश करे लेकिन उसके भाव चेहरे पर दिखाई ही दे जाते हैं. व्यक्ति अगर नकारात्मक सोच रखता है या फिर दूसरों के बारे में वह मन में गलत विचार रखता है तो भले ही मुख से कुछ न कहें लेकिन उसके चेहरे से मन की बात का पता चल ही जाता है.
बुरा सोचने वाला व्यक्ति हमेशा ये मानता है कि कोई उसे नहीं जान पा रहा है. लेकिन ऐसा नहीं होता है, जिस प्रकार भोजन का संबंध शरीर, त्वचा और सेहत से होता है उसी प्रकार विचार का संबंध मुख से होता है. मुख पर मन में होने वाले मंथन का प्रतिबिंब उभरने लगता है. इसलिए ये समझना की दूसरा व्यक्ति अनजान है तो पूरी तरह से गलत होता है.
सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए
व्यक्ति के भीतर सीखने की ललक हमेशा बनी रहनी चाहिए. जीवन का आनंद सीखने में ही है. जो व्यक्ति हमेशा सीखने के लिए तैयार रहते हैं उनमें हमेशा ऊर्जा बनी रहती है. वे उत्साह से भी भरे रहते हैं. व्यक्ति को अगर विकास की सतत प्रक्रिया की अनुभूति प्राप्त करनी है और इसमें सहभागिता निभानी है तो उसे सीखने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए. जो व्यक्ति एक उम्र्र के बाद सीखने की प्रक्रिया को बंद कर देते हैं उनके जीवन में उत्साह समाप्त हो जाता है वे शिथिल हो जाते हैं.
उन्हे निराशा घेर लेते ही. यह व्यक्ति के कर्म को भी प्रभावित करता है. सीखने की कोई भी उम्र नहीं होती है. व्यक्ति को जब भी सीखने का मौका मिले उसे हर संभव प्रयासों से उस चीज को समझना चाहिए. व्यक्ति को हमेशा जिज्ञासू रहना चाहिए इससे उसके भीतर बचपन जीवित रहता है और बचपन ही व्यक्ति को सीखने के लिए प्रेरित करता है.
Vidur Niti : जीवन में सफल होने के लिए जरूरी है वाणी की मधुरता