महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों में से एक विदुर को धर्मराज का अवतार भी कहा जाता है. विदुर ने हमेशा सत्य का मार्ग अपनाया. जीवन में उन्होंने हमेशा न्याय की बात की. महाभारत के युद्ध को लेकर जब उनकी राय ली गई तो विदुर ही एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने सबसे पहले ये बात कही थी कि महाभारत का युद्ध सर्वनाश करेगा. विदुर एक कुशल सलाहकार थे. राजा धृतराष्ट्र के वे सलाहकार थे. धृतराष्ट्र विदुर से सलाह लेते थे. धृतराष्ट्र और विदुर के बीच जो संवाद होता था वही विदुर नीति कहलाई. आइए जानते हैं आज की विदुर नीति क्या कहती है-
पत्नी के हाथों में देना चाहिए धन: एक बार राजा धृतराष्ट्र ने विदुर से पूछा कि विदुर जी ये बताएं कि धन किस के हाथों में देना चाहिए. इस पर विदुर ने बिना समय गंवाए कहा कि महाराज धन तो हमेशा स्त्री के हाथों में ही देना चाहिए. इस पर धृतराष्ट्र ने बड़ी उत्सुकता से पूछा कि विदुर ऐसा तुम क्यों कह रह हो, तो विदुर ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि महाराज जो व्यक्ति अपनी मेहनत से कमाई हुई पूंजी या धन को स्त्री के हाथों में रखता है तो उसके धन में वृद्धि होती है और समय आने पर धन काम आता है. धन के मामले में स्त्रियां अधिक सजग और जागरूक होती है.
धन संचय के पीछे उनकी सोच हमेशा मदद और समय पर काम आने वाले संसाधन के तौर पर होती है. जो लोग यह सोचते हैं स्त्री अधिक खर्च करती है तो इस सोच से स्त्री को धन देना बंद नहीं करना चाहिए. घर की स्त्री को दिया हुआ धन हमेशा बुरे वक्त में काम आता है.
ज्ञान को आचरण में जो उतारे वही ज्ञानी है: महाराज धृतराष्ट्र ने एक बार विदुर से प्रश्न किया कि विदुर ज्ञानी कौन है. इस विदुर ने उत्तर दिया कि महाराज ज्ञानी वह नहीं है जो शास्त्र को याद कर ले. सच्चा ज्ञानी वही है जो ज्ञान को जीवन में आत्मसात कर ले. वह ज्ञान जो व्यक्ति के आचरण में झलकने लगे है वही ज्ञानी है. ज्ञान व्यक्ति कभी दिखावे के लिए ज्ञान प्राप्त नहीं करता है. जो ज्ञान दूसरों का नीचा दिखाने के काम आए वह ज्ञान नहीं हो सकता है, जो ऐसा करते हैं वह ज्ञानी होने का ढोंग करते हैं. ज्ञानी व्यक्ति की वाणी में मधुरता, व्यवहार में विनम्रता और आंखों में करूणा दिखाई देती है. इस उत्तर से महाराज धृतराष्ट्र बहुत प्रसन्न हुए.
यह भी पढ़ें -
विदुर नीति: जो व्यक्ति समाने वाले का मुंह देखकर बात करते हैं ऐसे व्यक्तियों से सदा सावधान रहना चाहिए