नई दिल्ली: विदुर नीति (Vidur Niti) व्यक्ति को जीवन जीने की कला सीखाती है. विदुर एक विद्वान व्यक्ति थे. जिनका दृष्टिकोण बहुत ही स्पष्ट था. ऐसा इसलिए भी था क्योंकि वे हमेशा सत्य का साथ देते थे फिर चाहें परिस्थिति कुछ भी हो. उनकी इस खूबी से ही प्रभावित होकर हस्तिनापुर के राजा पांडु ने उन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया. वे एक दासी पुत्र थे. इसलिए राजा नहीं बन सकते थे. ये राजतंत्र का नियम था.


बावजूद इसके विदुर अपनी योग्यता और आचरण से महाभारत के लोकप्रिय पात्रों में से एक हैं. वे धृतराष्ट्र के सलाहकार थे. महाभारत के युद्ध को लेकर उन्होंने राजा धृतराष्ट्र से कहा था कि महाराज ये युद्ध विनाश का कारण बनेगा. धृतराष्ट्र और विदुर के बीच जो संवाद हुआ वही विदुर नीति कहलाई. आइए जानते हैं क्या कहती है आज की विदुर नीति-


सामने वाले का मुंह देखकर बात करने वाले नहीं होते हैं विश्वनीय: एक बार विदुर से महाराज धृतराष्ट्र से पूछा कि विदुर व्यक्ति कौन अच्छा होता है. तो विदुर ने बड़ी ही सहजता से उनके प्रश्न का उत्तर दिया कि महाराजा जो व्यक्ति मुख देखकर बात करता है ऐसे व्यक्ति से सदा सावधान रहना चाहिए. अगर ऐसे व्यक्ति की बातों पर यकींन कर लिया तो भविष्य में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

धृतराष्ट्र ने विदुर से कहा कि विदुर विस्तार से इस पर प्रकाश डालो. तब विदुर ने कहा महाराज जो व्यक्ति हर किसी से अलग अलग बात करे यानि किसी से कुछ कहे और दूसरे व्यक्ति से कुछ कहे ऐसे व्यक्ति का चरित्र संदिग्ध होता है. क्योंकि ऐसे व्यक्ति संबंधों में संदेह पैदा कराते हैं. ऐसे लोगों की बातों की सदा पुष्टि करने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए. ऐसे व्यक्ति अपने को श्रेष्ठ और सभी नजरों में अच्छा बने रहने के लिए करते हैं. लेकिन जब उनकी सच्चाई खुलती है तो ऐसे व्यक्ति निंदा के पात्र बनते हैं.


करीबी मित्रों और रिश्तेदारों को हर समय परखने वाले कमजोर होते हैं: जो व्यक्ति हमेशा दूसरों को परखते रहते हैं ऐसे व्यक्ति कमजोर होते हैं. जिस कारण वे हमेशा अपने मित्रों और परचितों को परखते रहते हैं. ऐसा वही व्यक्ति करता है जो कुछ छिपाने की कोशिश करता है. यह अपनी स्थिति को लेकर हमेशा भ्रम में रहता है. उसे लगता है कि कहीं उसकी कमजोरी तो जाहिर नहीं हो रही है. ऐसे लोगों में आत्मविश्वास की कमी रहती है. वे अपने अवगुणों को छिपाने की कोशिश करते हैं.


ऐसे व्यक्ति यदि उच्च पद पर है तो वह हमेशा अपने पद के घमंड में लोगों को परखता रहता है कि कहीं उसके पद को लेकर दूसरे लोगों द्वारा दिए जाने वाले सम्मान में कमी तो नहीं आ रही है. ऐसे व्यक्ति सदा मानसिक तनाव से गुजरते हैं. सही फैसला नहीं कर पाते हैं और दूसरों की छवि दिमाग में बनाकर जीवन भर भ्रम में रहते हैं. ऐसे लोगों को एक दिन सगे संबंधी भी छोड़ देते हैं.


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