विदुर नीति: विदुर को धर्मराज का अवतार कहा गया है. विदुर महाभारत के सबसे लोकप्रिय पात्रों में से एक हैं. सत्य के मार्ग पर चलने वाले विदुर ने जीवन में कभी झूठ नहीं बोला. हमेशा सत्य का ही साथ दिया. विदुर की शिक्षाएं ही विदुर नीति कहलाती हैं. उनकी शिक्षाओं को अगर व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो हर प्रकार के दुखों से मुक्ति मिल जाती है. विदुर की प्रतिभा और कर्तव्यनिष्ठा भगवान श्रीकृष्ण भी प्रभावित थे. वे कौरवों और पांडवों के भी प्रिय थे. दोनों ही उनका सम्मान किया करते थे. वे राजा धृतराष्ट्र के महामंत्री और सलाहकार थे. आइए जानते हैं आज की विदुर नीति-


व्यक्ति को हमेशा मधुर वाणी बोलनी चाहिए


विदुर के अनुसार व्यक्ति की वाणी बहुत ही प्रभावशाली होती है. वाणी का प्रयोग व्यक्ति को बहुत ही सोच समझकर करना चाहिए. वाणी अगर कर्कश और क्रोध से भारी हो तो व्यक्ति के अहित का कारण भी बन सकती है. जो कार्य धन और शक्ति से भी संपंन नहीं हो पाते हैं वे मधुर वाणी से आसानी से हो जाते हैं. व्यक्ति की वाणी जितनी मधुर होगी वो उतना ही सफल होगा.


मधुर वाणी बोलने वाला व्यक्ति सभी का प्रिय होता है. वहीं जिसकी वाणी से क्रोध झलकता है उससे लोग दूरी बना लेते हैं. मधुर वाणी के जरिए शत्रु को भी मित्र बनाया जा सकता है. मधुर वाणी के साथ व्यक्ति का व्यक्तित्व अगर विनम्र हो तो ये सोने पर सुहागे जैसा होता है. मधुर वाणी और विनम्रता व्यक्ति के लिए आभूषण के समान हैं. जो इसे धारण करता है वह श्रेष्ठता का प्राप्त करता है.


अधिक बोलने वाला व्यक्ति गंभीर नहीं होता है


जो लोग अधिक बोलते हैं उनमें गंभीरता की कमी होती है. या फिर सभा और समाज में उन्हें गंभीर नहीं माना जाता है. व्यक्ति को तभी बोलना चाहिए जब उससे कहा जाए. जो व्यक्ति तथ्यों के साथ विषय पर बोलता है तो उसकी बात को हर कोई सुनता है. लेकिन जो बिना चिंतन, मथन के बोलने लगते हैं उनकी बातों को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. इससे व्यक्तित्व भी प्रभावित होता है.


अधिक बोलने वाले व्यक्ति की छवि भी समाज में नकारात्मक बनती है. बोलने से पहले व्यक्ति को स्थान और समय का भी ध्यान रखना चाहिए. वहीं व्यक्ति को बिना अध्ययन और ज्ञान के नहीं बोलना चाहिए.


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