Vidur Niti : विदुर एक दासी पुत्र होने के बाद भी अपनी बुद्धिमता से हस्तिनापुर के महामंत्री बने. विदुर धर्मराज के अवतार थे. शत्रु भी उनका सम्मान करते थे. महाभारत का युद्ध रोकने के लिए विदुर ने राजा धृतराष्ट्र को बहुत समझाया लेकिन पुत्र मोह में फंसे धृतराष्ट्र ने उनकी एक न मानी. जिसका परिणाम यह हुआ कि महाभारत के युद्ध में सबकुछ नष्ट हो गया. भगवान श्रीकृष्ण भी विदुर के विचारों का सम्मान करते थे. उनकी शिक्षाएं विदुर नीति में निहित हैं. जानते हैं आज की विदुर नीति-
ये कार्य अकेले नहीं करने चाहिए
राजा धृतराष्ट्र ने एक बार प्रश्न किया कि विदुर समूह में कौन से कार्यों को किया जाना श्रेष्ठ है. इस पर विदुर ने उत्तर देते हुए कहा कि महाराज व्यक्ति को इन कार्यों को कभी भी अकेले नहीं करना चाहिए. जैसे व्यक्ति को अकेले स्वादिष्ट भोजन नहीं करना चाहिए. दूसरा व्यक्ति को बड़े कार्य करने से पहले स्वयं निर्णय नहीं लेना चाहिए तीसरा अकेले कभी भी यात्रा नहीं करनी चाहिए और चौथा उस स्थान पर कभी भी अकेले नहीं जागना चाहिए जहां पर सभी सो रहे हों.
राजा ने विदुर से कहा कि थोड़ा ओर प्रकाश डालें. विदुर ने कहा कि स्वादिष्ट भोजन मिलकर खाने से संबंध प्रगाढ़ होते हैं. कोई भी बड़ा कार्य करने से पहले संगे संबंधियों और मित्रों से विचार जरूर करना चाहिए. अकेले यात्रा इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि संकट आने पर कोई मदद के लिए भी होना चाहिए और जहां पर सभी सो रहे हों वहां पर अकेले जागना संदेह पैदा कर सकता है जो व्यक्ति को मुसीबत में भी डाल सकता है.
गुप्त बातें ऐसे लोगों से नहीं करनी चाहिए
विदुर नीति के अनुसार हर किसी से गुप्त सलाह नहीं लेनी चाहिए. विश्वासपात्र व्यक्तिओं से भी अपनी गंभीर बातों को साझा करना चाहिए. यादि इस बात का ध्यान नहीं करते हैं तो मुसीबत में फंस सकते हैं. विदुर नीति के अनुसार कम बुद्धिवाले, दीर्घसूत्री और जल्दबाजी में रहने वाले व्यक्तिओं से कभी भी गुप्त सलाह नहीं लेनी चाहिए. जो उच्च पद पर आसीन हैं उन्हें ऐसे लोगों का तुरंत ही त्याग कर देना चाहिए. ऐसे लोगों से सदैव सर्तक रहना चाहिए.
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