Vidur Niti: महात्मा विदुर महाभारत काल के प्रसिद्धि विद्वान थे. वे अपनी विवेकशील और तेज बुद्धि एवं दूरदर्शिता की वजह से काफी प्रसिद्ध थे. महात्मा विदुर भी धृतराष्ट्र और पांडु की तरह ही ऋषि वेदव्यास के पुत्र थे. धृतराष्ट्र और पांडु राजकुमारी केगार्भ से हुए थे जबकि विदुर का जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था. विदुर में राजत्व के सभी गुण होने के बावजूद भी दासी पुत्र होने के कारण राजा नहीं बनाये गए. ये हस्तिनापुर के महामंत्री बने.
विदुर नीति की प्रासंगिकता
महाराज धृतराष्ट्र अपने समय में लगभग सभी विषयों पर महात्मा विदुर की राय लेते थे. इनकी इन्हीं बातों का संकलन विदुर नीति कहलाती है. महात्मा विदुर की नीतियां आज भी मानव जीवन की सफलता के लिए उतनी ही प्रासंगिक बनी हुई हैं जितनी की तत्कालीन समय में भी. विदुर नीति में उन बातों का भी उल्लेख किया गया है जिनके चलते व्यक्ति अपने जीवन में सफल नहीं हो पाता है. यदि व्यक्ति इन आदतों को सुधार लें तो सफलता उनके कदम चूमेगी. आइये जानें मनुष्य की उन आदतों को जो सफलता में बाधक होती है.
सफलता में बाधक आदतें
आलस्य: विदुर नीति के अनुसार आलस्य व्यक्ति के विकास में बहुत बड़ी बाधा होती है. जो व्यक्ति आलस्य करता है, वह कभी भी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता. आलसी व्यक्ति अपने हर कामों को भविष्य पर टाल देते हैं. जो कि यह उन्ही को नुकसान पहुंचता है. इसलिए विदुर जी ने आलस्य को मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु बताया है.
अधिक की चाह रखने वाला: विदुर नीति के अनुसार जो लोग कम मेहनत में अधिक सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, मेहनत से जी चुराते हैं. उन्हें कभी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती.
भगवान पर निर्भर रहने वाला: विदुर नीति के अनुसार जो व्यक्ति अपनी मदद करता है, उसकी मदद खुद भगवान भी करते हैं. जो लोग केवल ईश्वर के सहारे बैठे रहते हैं. ऐसे लोगों को हमेशा परेशानियों से जूझना पड़ता है. इस लिए विदुर जी कहते हैं कि भगवान पर विश्वास करना चाहिए लेकिन व्यक्ति को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत जरूर करनी चाहिए.
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