Mahabharat : विदुर यमराज के रूप थे, लेकिन एक यमराज को श्राप के चलते दासीपुत्र बनना पड़ा. विदुर की मां दासी थी, इसलिए ये बचपन से तय था कि वो राजकुमार या राजा नहीं बन सकते थे. बचपन से विदुर को नीति और धर्म में रुचि थी, उन्हें युद्ध कला सीखने में कोई रुचि नहीं थी, इसलिए पूरी महाभारत में कहीं भी नहीं है कि विदुर कोई शस्त्र चलाने में पारंगत थे. पूरी महाभारत में धृतराष्ट्र को जितने कड़वे वचन विदुर ने कहे, वह किसी दूसरे की हिम्मत नहीं हुई. कुरुवंश का नाश होने से रोकने के लिए उन्होंने धृतराष्ट्र को कई जरूरी सलाह दी थीं, लेकिन उन्होंने एक नहीं मानी. 


1. विदुर ने ही सबसे बड़े भाई धृतराष्ट्र को हस्तिनापुर के सिंहासन पर बैठने से रोक दिया था. उनकी जगह पांडु को राजा बनाया गया।
2. विदुर ने दुर्योधन के जन्म के समय उसे मार देने को कहा, उन्होंने कहा था कि ये बालक आगे चलकर कुरु वंश का नाश कर देगा.
3. विदुर ने पांडव और कौरवो के बीच चौसर में द्रौपदी के चीरहरण का विरोध किया, तब सिर्फ उन्होंने ही आवाज़ उठाई बाकी सब चुप रहे.
4. विदुर ने ही धृतराष्ट्र को बार-बार कहा पांडवो का राज्य लौटा दो।
5. विदुर ने कृष्ण का शांति प्रस्ताव मानने के लिए कहा, लेकिन पुत्र मोह में वो नहीं माने.
6. अंत के दिनों में विदुर धृतराष्ट्र से कहा था कि आप मेरे भाई हैं और राजा भी. जहांधर्म है वहा मैं हूं. में आपसे और हस्तिनापुर की माटी से धोखा नहीं कर सकता, इसलिए राजभवन छोड़कर जा रहा हूं. 
7. विदुर युद्ध में कौरवों की ओर से युद्ध नहीं लड़ा, क्योंकि इसके लिए धर्म मना कर रहा था और पांडवों की तरफ से लड़ नहीं सकते थे, क्योंकि वे हस्तिनापुर राज और उसकी मिट्टी के साथ धोखा नहीं कर सकते थे.


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