विजया एकादशी व्रत कब रखा जाएगा 26 या 27 फरवरी? मनोकामना पूर्ति के लिए कर लें ये उपाय
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है.
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. सनातन धर्म में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat 2022) सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित होता है. हर माह में दो एकादशी मनाई जाती हैं और सालभर में आने वाली सभी एकादशी का महत्व अलग होता है. विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi 2022) का व्रत शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला माना जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि स्वंय श्री राम (Shri Raam) और उनकी सेना ने रावण से युद्ध करने से पहले विजया एकादशी का व्रत (Vijaya Ekadashi Vrat 2022) रखा था. और इसके बाद ही उन्होंने लंकापति रावण का वध किया था. इस बार विजया एकादशी को लेकर साधकों को कंफ्यूजन हैं कि विजया एकादशी 26 फरवरी को मनाई जाएगी या फिर 27 फरवरी को. आइए जानते हैं कब रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत.
26 या 27 किस दिन रखा जाएगा व्रत
विजया एकादशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी की सुबह 10 बजकर 39 मिनट से होगी और समापन 27 फरवरी की सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर होगा. एकादशी का व्रत उदया तिथि के हिसाब से रखा जाता है. ऐसे में एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखना ज्यादा उपयुक्त होगा.
विजया एकादशी पर करें ये उपाय
कोई विशेष कामना के लिए
अगर कोई विशेष कामना की पूर्ति चाहते हैं, तो इस दिन सुबह स्नान आदि से निविर्त होकर सूर्य देव को गंगाजल अर्पित करें. फिर भगवान श्री राम की पूजा करें. 11 केले, लड्डू, लाल फूल, 11 चंदन की अगरबत्ती और 11 दीपक जलाएं. 11 खजूर और बादाम अर्पित करें. इसके बाद ‘ॐ सिया पतिये राम रामाय नमः’ मंत्र का जाप करें.
नौकरी के लिए
नौकरी की तलाश कर रहे जातक एकादशी के दिन कलश पर आम का पल्लव रखें. इसके बाद जौ से भरा हुआ पात्र रखें और एक दीपक जलाएं. 11 लाल फूल, 11 फल और मिठाई अर्पित करें. इसके बाद विष्णु भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा करें. फिर ‘ॐ नारायणाय लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का जाप करें.
संतान प्राप्ति के लिए
धार्मिक मान्यता है कि अगर आप संतान प्राप्ति चाहते हैं तो एकादशी के दिन दंपत्ति को मिलकर भगवान की पूजा करनी चाहिए. इतना ही नहीं, एकादशी के दिन चांदी के लौटे में दूध में मिश्री मिलाकर पीपल पर अर्पित करने से सुंदर और योग्य संतान की प्राप्ति होती है.
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