Vinayak chaturthi 2024: आज साल की पहली विनायक चतुर्थी, जानें 2024 में विनायक चतुर्थी कब-कब है ?
Paush Vinayak Chaturthi 2024: हर माह के शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी बप्पा की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई है. 14 जनवरी को साल की पहली विनायक चतुर्थी है. जानें साल 2024 में विनायक चतुर्थी कब-कब है
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Paush Vinayak Chaturthi 2024: 14 जनवरी 2024 को इस साल की पहली विनायक चतुर्थी है. हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है यानी कुल साल में कुल 12 वरद विनायक चतुर्थी होती है.
ये तिथि शिव गौरी के पुत्र गणपति जी को समर्पित है. पुराणों के अनुसार इस दिन बप्पा की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी 2024 में कब-कब है, डेट और मुहूर्त.
विनायक चतुर्थी 2024 कब-कब है
माह | तारीख | मुहूर्त |
पौष विनायक चतुर्थी | 14 जनवरी 2024 | सुबह 11.27 - दोपहर 01.33 |
माघ विनायक चतुर्थी | 13 फरवरी 2024 | सुबह 11.29 - दोपहर 01.42 |
फाल्गुन विनायक चतुर्थी | 13 मार्च 2024 | सुबह 11.19 - दोपहर 01.42 |
चैत्र विनायक चतुर्थी | 12 अप्रैल 2024 | सुबह 11.05 - दोपहर 01.11 |
वैशाख विनायक चतुर्थी | 11 मई 2024 | सुबह 10.57 - दोपहर 01.39 |
ज्येष्ठा विनायक चतुर्थी | 10 जून 2024 | सुबह 10.57 - दोपहर 01.44 |
आषाढ़ विनायक चतुर्थी | 9 जुलाई 2024 | सुबह 11.03 - दोपहर 01.50 |
सावन विनायक चतुर्थी | 8 अगस्त 2024 | सुबह 11.07 - दोपहर 01.46 |
भाद्रपद विनायक चतुर्थी | 7 सितंबर 2024 | सुबह 11.03 - दोपहर 01.34 |
अश्विन विनायक चतुर्थी | 6 अक्टूबर 2024 | सुबह 10.58 - दोपहर 01.19 |
कार्तिक विनायक चतुर्थी | 5 नवंबर 2024 | सुबह 10.59 - दोपहर 01.10 |
मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी | 5 दिसंबर 2024 | सुबह 11.09 - दोपहर 12.49 |
विनायक चतुर्थी पूजा मंत्र
- ऊँ सुमुखाय नम:
- ऊँ एकदंताय नम:
- ऊँ कपिलाय नम:
- ऊँ गजकर्णाय नम:
- ऊँ लंबोदराय नम:
- ऊँ विकटाय नम:
- ऊँ विघ्ननाशाय नम
- ऊँ विनायकाय नम:
- ऊँ धूम्रकेतवे नम:
- ऊँ गणाध्यक्षाय नम:
- ऊँ भालचंद्राय नम:
- ऊँ गजाननाय नम:
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
विनायक चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठकर नहाएं लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजा और पूरे दिन व्रत रखने का संकल्प लें. मिट्टी या धातु से बने गणेशजी की मूर्ति पूजा चौकी पर स्थापित करें. शुभ मुहूर्त में हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल, सिंदूर से बप्पा की पूजा करें. दूर्वा चढ़ाएं और लड्डू या मोदर का भोग लगाकर. गणपित चालीसा का पाठ करें. ऊपर बताए गए मंत्र पूजा के दौरान बोलते रहें. गाय को गुड़-घी खिलाएं. ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा दें. शाम को फिर गणेशजी की पूजा और आरती करें. इसके बाद खुद भोजन करें
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