Vinayak Chaturthi Vrat 2023: फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी कब है? इस दिन न करना वो गलती जो भगवान कृष्ण ने की थी
Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : फाल्गुन मास की विनायक चतुर्थी 23 फरवरी को पड़ रही है. इस दिन गणेश जी का व्रत विषेश फल प्रदान करना है. इन दिन बन रहें है चार शुभ योग, जानें.
Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : फाल्गुन मास के शुल्क पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा. ये व्रत 23 फरवरी 2023, गुरुवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन गणेश जी की पूजा का विधान है. विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने के शुल्क पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है. इस दिन गणेश जी का व्रत रखने से और उनकी विधि-पूर्वक पूजा अर्चना करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, विघ्नहर्ता आपके सारे दुख और कष्ट हर लेते हैं.
शुभ मुहूर्त
- 23 फरवरी को सुबह 03 बजकर 24 मिनट शुरु होगी
- तिथि का समापन 24 फरवरी को 01 बजकर 33 रात को होगा
- उदयातिथि होने की वजह से विनायक चतुर्थी का व्रत 23 फरवरी, गुरुवार के दिन रखा जाएगा.
- विनायक चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 26 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक है.
इस दिन पड़ेंगे चार शुभ योग
गणेश चतुर्थी के दिन चार शुभ-योग का निर्माण हो रहा है. अगर आप किसी शुभ काम की शरुआत करना चाहते हैं तो इस दिन इन चारों शुभ योग में कर सकते हैं. इन चारों योग में पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होगी, और आपके जीवन में खुशियां और सुख-समृद्धि आएगी.
गणेश चतुर्थी पर सुबह से शुभ योग बन रहा है जो रात को 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. इस दिन रवि योग भी बन रहा है जो सुबह 6 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा और 24 फरवरी को सुबह 3 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. तो आप भी इस पूरे समय में किसी शुभ कार्य की शुरुआत कर सकते हैं, और अपने जीवन से कष्टों को दूर कर सकते हैं.
इस दिन भूल कर भी ना देंखे चंद्रमा
इस दिन हमें भूलकर भी चंद्रमा नहीं देखना चाहिए. विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना निषेध है. माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन हमें भूल कर भी चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चहिए, श्री कृष्ण ने इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लिए थे और उनपर मणि चोरी का आरोप लग गया था. चतुर्थी तिथि शुरू होने से लेकर खत्म होने तक चन्द्रमा का दर्शन ना करें, अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जाएं तो मिथ्या दोष से बचने के लिए इस मंत्र का जाप करें-
'सिंह: प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हत:।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकर:"
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