Vinayak Chaturthi Katha: गणेश पूजा के समय जरूर पढ़ें विनायक चतुर्थी की यह व्रत कथा, बनी रहेगी गणपति बप्पा की कृपा, दूर होगी विघ्न बाधा
Vinayak Chaturthi Katha 2021: विनायक चतुर्थी का पर्व आज 16 अप्रैल को मनाया जा रहा है. इस दिन गणेश भगवान की पूजा करते समय यह कथा पढ़ने से गणपति बप्पा की कृपा होती है, तथा उपासक की सभी प्रकार की विघ्न बाधाएं दूर होती हैं. आइये जानें व्रत कथा क्या है?
![Vinayak Chaturthi Katha: गणेश पूजा के समय जरूर पढ़ें विनायक चतुर्थी की यह व्रत कथा, बनी रहेगी गणपति बप्पा की कृपा, दूर होगी विघ्न बाधा Vinayaka Chaturthi April 2021 read Ganesha Chaturthi Vrat Katha know Puja Vidhi Shubh Muhurat Vinayak Chaturthi Katha: गणेश पूजा के समय जरूर पढ़ें विनायक चतुर्थी की यह व्रत कथा, बनी रहेगी गणपति बप्पा की कृपा, दूर होगी विघ्न बाधा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/04/16/e1e8340702e877c44e336ec24c0d4289_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Vinayak Chaturthi Katha 2021: हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती है. एक चतुर्थी कृष्ण पक्ष की और दूसरी शुक्ल पक्ष की. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं. इस दिन गणेश भगवान की पूजा बड़े विधि-विधान से की जाती है. गणेश की पूजा करते समय यह पौराणिक कथा जरूर पढ़ना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है है कि भगवान शिव तथा माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे हुए थे. माता पार्वती , भगवान शिवजी के साथ अपना समय बीताना चाह रहीं थी. इसलिए उन्होंने शिवजी भगवान से चौपड़ खेलने का आग्रह किया. शिवजी भी ऐसा करने कस लिए तैयार हो गए. परन्तु वहां पर दोनों के खेलों के हार जीत का फैसला करने वाला नहीं था.
ऐसे में शिवजी ने कुछ तिनके लिए और उसका एक पुतला बनाया. फिर उसमें उन्होंनें प्राण प्रतिष्ठा कर दी और कहा कि बेटा, मैं यहां चौपड़ खेल रहा हूँ. लेकिन यहां पर कोई भी ऐसा नहीं है था जो हम दोनों के बीच हार जीत का फैसला करता. इस लिए आपको यह देखना होगा कि इस चौपड़ के खेल में कौन हारा और कौन जीता?
यह कहकर भगवान शिवजी और पार्वती जी ने चौपड़ खेलना शुरू कर दिया. 3 बार खेल खेलने के बाद संयोग से तीनों बार माता पार्वती ही जीती. खेल समाप्त होने के बाद जब उस बालक से हार-जीत का फैसला सुनाने के लिए कहा गया. तो उस बालक ने महादेव को विजयी घोषित कर दिया. इससे माता पार्वती बहुत क्रोधित हुई और उन्होंने उसे लंगड़ा होकर कीचड़ में पड़ने रहने का शाप दे दिया.
बालक ने माता पार्वती से क्षमा मांगते हुए कहा कि यह अज्ञानता वश हुआ है. कृपया मुझे माफ़ कीजिए. काफी अनुनय-विनय के बाद माता पार्वती ने कहा कि 'यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्याएं आती हैं. जैसा ये कन्याएं कहें वैसे ही गणेश जी का व्रत करें. ऐसा करने से तुम मुझे प्राप्त करोगे.' यह कहकर शिव-पार्वती कैलाश चले गए.12 महीने के बाद उस स्थान पर नागकन्याएं आयीं. उन्होंने गणेश भगवान की पूरी व्रत कथा बताई. उस बालक ने 21 दिन तक लगातार गणेश जी का व्रत किया. उसकी श्रद्धा देख गणेश जी बेहद प्रसन्न हो गए. उन्होंने बालक को मनवांछित फल प्रदान किया.
बालक ने कहा कि हे विनायक मुझमें इतनी शक्ति दें कि हम हम अपने पैरों से कैलाश पर्वत पर जाएँ. गणेश जी ने बालक को बरदान दिया और वह अंतर्ध्यान हो गए. फिर बालक कैलाश पर्वत पर पहुंचे और व्रत कथा शिव जी को सुनाया. शिवजी ने भी 21 दिन का व्रत किया. इसके प्रभाव से माता पार्वती के मन में शिव जी के प्रति जो नाराजगी थी, वह दूर हो गई. उसके बाद शिवजी ने यह व्रत कथा पार्वती को सुनाई. पार्वती जी ने यह 21 दिन तक यह व्रत किया. इससे
यह सुन माता पार्वती ने भी पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा लेते हुए यह व्रत किया. व्रत के 21वें दिन कार्तिकेय स्वयं माता पार्वती जी से आ मिले. उस दिन से श्री गणेश चतुर्थी का यह व्रत समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला व्रत माना जाता है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)