Vindhyavasini Puja 2021: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि और 16 जून 2021 दिन बुधवार है. इस तिथि को विन्ध्यवासिनी षष्ठी भी कहा जाता है. इस दिन मां विन्ध्यवासिनी की ​विधिपूर्वक पूजा की जाती है. शिव पुराण के मुताबिक माता सती ही मां विन्ध्यवासिनी हैं. इस दिन मां विन्ध्यवासिनी की ​विधिपूर्वक पूजा – अर्चना करने से भक्त के सभी कार्य सफल होते हैं और उनके मनोरथ पूरे होते हैं.


धार्मिक ग्रन्थों का कथन है कि मां विन्ध्यवासिनी का निवास विंध्याचल पर्वत पर है. वर्तमान में मिर्जापुर जिले के पास मां विंध्यवासिनी की शक्तिपीठ स्थापित है. हिंदू धर्म शास्त्रों में मां विंध्यवासिनी का महात्म्य बताया गया है. शिव पुराण में मां विंध्यवासिनी को सती, श्रीमद्भागवत में नंदजा देवी कहा गया है. इसके अलावा इन्हें कृष्णानुजा, वनदुर्गा के नामों से भी जाना जाता है.



पूजा विधि: इस दिन सुबह प्रातःकाल स्नानादि करके मां विन्ध्यवासिनी की पूजा के लिए घर के मंदिर के सामने साफ़ स्थल पर बैठ जाएं. उसके बाद मां विन्ध्यवासिनी की प्रतिमा रखकर उन्हें जल पुष्प, अक्षत , रोली, और प्रसाद के लिए मिठाई चढ़ाएं. इसके बाद घी का दीपक एवं धूप प्रज्जवलित करें. उनकी कथा पढ़ें या सुनें. उसके बाद आरती करके प्रसाद का वितरण करें. अगले दिन व्रत का पारण करें. यह व्रत लगातार 11 दिनों तक नियमित रूप से करें.


व्रत कथा: मां विन्ध्यवासिनी व्रत के संदर्भ में हिंदू धर्म अनेक कथाएं प्रचलित हैं. उनमें से श्रीमद भागवत के दशम स्कन्द कथा के मुताबिक़, ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए मनु और सतरूपा को प्रकट किया. दोनों के विवाह के उपरान्त  मनु और सतरूपा ने मां भगवती की प्रतिमा बनाकर उनकी घोर तपस्या की. तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती विंध्याचल देवी के रूप में उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं उच्च पद प्राप्ति का वरदान देकर विंध्याचल पर्वत चली गईं. माना जाता है कि सृष्टि का विस्तार मां भगवती के शुभ आशीष के द्वारा हुआ.