बृहस्पतिवार की पूजा और व्रत से दूर होती है विवाह में आने बाली बाधाएं, नहीं होती है धन की कमी
बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु और देवों के गुरु बृहस्पति को समर्पित है. इस दिन इन दोनों की पूजा का विधान है. मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत रखने से जीवन में आने वाली कई बाधाओं से मुक्ति मिलती है. बृहस्पतिवार के व्रत का क्या महत्व है आइए जानते हैं.
Vishnu Puja: बृहस्पतिवार के दिन रखा जाना व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है. बृहस्पति को देवों को गुरु माना जाता है. जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह बहुत ही कम अवसरों पर जातक को अशुभ फल प्रदान करते हैं. लेकिन जब बृहस्पति अशुभ फल देने पर आते हैं तो व्यक्ति का जीवन मुश्किलों से भर देते हैं. वहीं जब ये शुभ होते हैं तो व्यक्ति को मान सम्मान, धन संपदा से संपंन कर देते हैं.
देव गुरु बृहस्पति का आर्शीवाद बना रहे इसके लिए बृहस्पतिवार का दिन पूजा करने के लिए सबसे उत्तम माना गया है. इस दिन उन लोगों को जरुरी व्रत रखना चाहिए जो बृहस्पति ग्रह से संबंधित कार्यों से जुड़े हुए हैं.
शादी में आने वाली बाधा दूर होती है बृहस्पति शादी संबंध के मामले में अहम भूमिका निभाते हैं. जिन कन्याओं की शादी में बाधा आ रही है, देर हो रही है तो ऐसी स्थिति में बृहस्पतिवार के दिन व्रत और पूजा करने से समस्या दूर होती है.
बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखने के लाभ इस दिन व्रत रखने के विशेष फल बताए गए हैं. मान्यता है कि एक वर्ष तक प्रत्येक बृहस्पतिवार का व्रत रखने और पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं रहती है. ऐसे लोगों के पास हमेशा धन बना रहती है. लक्ष्मी ऐसे लोगों से कभी मुंह नहीं फेरती हैं. पूर्ण लाभ लेने के लिए 1 वर्ष में 16 गुरुवार व्रत रखने के बारे में बताया गया है. ऐसा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. व्रत पूर्ण करने के बाद 17 वें गुरुवार को विधि पूर्वक उद्द्यापन करना चाहिए.
शुक्ल पक्ष से करें व्रत का आरंभ इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से आरंभ करना अच्छा माना गया है. कहा जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने के लिए शुक्ल पक्ष सबसे उपयुक्त है.
व्रत की विधि बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखने से पूर्ण व्रत का संकल्प लें. व्रत की सामग्री में चने की दाल, गुड़, हल्दी, थोड़े से केले, एक उपला हवन में प्रयोग करने के लिए लें. पूजा में पीले वस्त्र का भी प्रयोग होता है. इस दिन केले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन केले के पेड की जड़ में जल अर्पित किया जाता है. इस दिन केले का सेवन नहीं करना चाहिए.
मंत्र ॐ गुं गुरुवे नम:
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