Mahima Shanidev Ki: शनिदेव के नाना विश्वकर्मा ने मां संध्या को सूर्यलोक आने से रोका, जानिए क्यों साथ नहीं आ सकती थीं छाया-संध्या
महादेव की भविष्यवाणी के अनुसार शनिदेव कर्मफलदाता थे, जिन्हें तय समय में न्यायधिकारी के तौर पर ब्रम्हांड में न्याय करना शुरू करना था, लेकिन उनके मातृप्रेम के चलते खुद त्रिदेव सोच में पड़ गए.
Mahima Shanidev ki : शनिदेव (Shani Dev) की माता छाया को सूर्यदेव की वास्तविक पत्नी संध्या के तप से लौटने पर विलुप्त होना था. इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, जिसकी वजह से माता छाया का विचित्र घाव बढ़ता जा रहा था. निदान के लिए खुद शनिदेव को कैलास (Kailash) पर महादेव के पास जाना पड़ा. इस बीच सूर्य देव की पत्नी संध्या अपनी वर्षों की तपस्या पूरी कर अपने बच्चों यम और यमी से मिलने सूर्यलोक (SuryaLok) लौट रहीं थीं. तभी उनके पिता देवविश्वकर्मा ने रास्ता रोक लिया और उन्हें मायके में कुछ दिन उनके पास रहकर विश्राम करने के बहाने ले आए.
संध्या ने अपनी गैरमौजूदगी में अपनी छाया को बच्चों और पति की देखभाल के लिए सूर्यलोक में छोड़ रखा था, जिसे उनके लौटने पर खुद खत्म हो जाना था. यह बात विश्वकर्मा को पता थी, लेकिन खुद सूर्यदेव इससे अनजान थे. उन्हें यह भी ज्ञात नहीं था कि जिस छाया को संध्या समझकर रह रहे हैं, वो उनकी परछाई हैं. यही कारण है कि वह उनका ताप सह सकीं और दोनों के पुत्र शनि पैदा हुए, जो मां छाया की तरह श्याम वर्ण हुए. ऐसे में अगर खुद संध्या सूर्यलोक में पहुंच जातीं तो छाया का तत्काल अंत हो जाता और खुद संध्या का इतना बड़ा रहस्य सूर्यदेव समेत पूरे परिवार के सामने खुल सकता था.
निकट आ गया था शनिदेव के न्यायधिकारी बनने समय
महादेव की भविष्यवाणी के अनुसार शनिदेव कर्मफलदाता थे, जिन्हें तय समय में न्यायधिकारी के तौर पर ब्रम्हांड में न्याय करना शुरू करना था, लेकिन उनके मातृप्रेम के चलते खुद त्रिदेव सोच में पड़ गए. उन्होनें तय किया कि शनिदेव को माता छाया से अलग होना ही होगा. इसके लिए इंद्र समेत सभी देवताओं ने प्रयास शुरू किए. खुद देवविश्वकर्मा के बनाए दिव्यदंड को उठाने के बाद इंद्र और शुक्राचार्य को पता चल चुका था कि शनिदेव ही न्यायधिकारी हैं, लेकिन महादेव के आदेश पर दोनों ही यह सच छुपाए रखने को मजबूर थे. महादेव से मिलने जा रहे शनि को रोक कर देवराज उन्हें देवपुत्र होने के चलते अपने अधीन करने के भी हर प्रयास करते रहे.
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