Sawan 2021 : अचलेश्वर महादेव मंदिर में तीन बार बदलता है शिवलिंग का रंग
सावन माह में शिवालयों और मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है, लेकिन अपने चमत्कारिक शक्ति और मान्यताओं के चलते अचलेश्वर महादेव की प्रसिद्धि दूसरों से कहीं अनूठी है.
Sawan 2021 : राजस्थान के धौलपुर स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर की महिमा दूसरे सभी शिव मंदिरों से बिल्कुल अलग है. मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर चंबल के बीहड़ों के लिए प्रसिद्ध इलाके में स्थित अचलेश्वर महादेव मंदिर को भगवान शंकर के अनूठे शिवलिंग के चलते काफी चर्चा मिल रही है. मान्यता है कि यह देश का इकलौता शिवलिंग है, जो पूरे दिन में खुद से तीन बार रंग बदलता है.
सुबह के समय इसका रंग लाल होता है तो दोपहर में केसरिया हो जाता है, इसके बाद दिन ढलते-ढलते शिवलिंग का रंग सांवला और रात तक काला होता जाता है. अब तक कोई भी इस रहस्य की वजह नहीं जान सका है, लेकिन आस्था है कि यह शिवजी की कृपा से ही संभव है.
शिवलिंग का अंतिम सिरा या जड़ लापता
शिवलिंग एक और अनूठी बात है कि आज तक इसके छोर के बारे में कोई नहीं जान सका है. कहा जाता है कि बहुत पहले यहां एक बार भक्तों ने इसकी गहराई जानने के लिए आसपास गहरी खुदाई की, इसके बावजूद शिवलिंग का अंतिम सिरा या जड़ का पता नहीं चला. ऐसे में श्रद्धालुओं ने इसे शिवजी का चमत्कार मानते हुए खुदाई बंद कर दी. माना जाता है कि काफी प्राचीन यह मंदिर डाकुओं के क्षेत्र में होने के कारण सालों तक लगभग सन्नाटे में रहा और रास्ता भी सुलभ न होने से लोग नहीं पहुंच पाए.
समय के साथ जब मंदिर की प्रसिद्धि फैली तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचने लगे. भगवान अचलेश्वर महादेव के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने के लिए आते हैं. इस दौरान यहां वृहद मेले का भी आयोजन होता आया है लेकिन महामारी के समय में फिलहाल इस पर रोक है फिर भी सावन के महीने में बड़ी संख्या में श्रद्धालु देखे जा सकते हैं. शिवलिंग के अनूठेपन के चलते इस मंदिर की प्रसिद्धि तेजी से फैलती जा रही है.
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