Vivah Panchami 2021: विवाह पंचमी के दिन हुआ था श्री राम और सीता का विवाह, जानें क्यों खास है ये दिन
Vivah Panchami 2021: पंचाग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस बार 8 दिसंबर के दिन विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाएगा.
Vivah Panchami 2021: पंचाग के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह (Margashirsha Month) के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी (Vivah Panchami 2021) का पर्व मनाया जाता है. इस बार 8 दिसंबर के दिन विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाएगा. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन सीता स्वंयवर और श्री राम का विवाह हुआ था. और हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को शादी की सालगिरह के रूप में मनाई जाती है. हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता की पूजा-उपासना का विशेष महत्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं पुराणों में इस दिन को विवाह के हिसाब से अशुभ माना जाता है.
मान्यता है कि ग्रह स्थितियां ठीक होने के बावजूद इस दिन फिर भी विवाह नहीं करना चाहिए. इस दिन विवाह करने पर सीता माता का वैवाहिक जीवन दुखी ही रहा था, इसलिए विवाह के हिसाब से इसे अशुभ माना जाता है, इसलिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मिथिलांचल और नेपाल में इस दिन विवाह नहीं किए जाते हैं.
विवाह पंचमी का महत्व (Vivah Panchami Significance)
विवाह पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन अयोध्या और जनकपुर में विशेष आयोजन किए जाते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन कई स्थलों पर सीता स्वंयवर और राम विवाह का नाट्य रूपांतरण किया जाता है. ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन सच्ची श्रद्धाभाव से मां सीता और भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही, विवाहितों के सौभाग्य में भी वृद्धि होती है.
विवाह पंचमी शुभ मुहूर्त (Vivah Panchami Shubh Muhurat 2021)
इस साल विवाह पचंमी 07 दिसंबर, 2021 को रात 11 बजकर 40 मिनट से आरंभ होगी और 08 दिसंबर, 2021 को रात 09 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. लोग 8 दिसंबर को दिनभर भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा-आराधना कर सकते हैं.
विवाह पंचमी पूजा विधि (Vivah Panchami Puja Vidhi)
विवाह पंचमी के दिन ब्रह्म बेला में उठकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान करें. अब आमचन करने के बाद खुद को शुद्ध करें. इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और पहले भगवान भास्कर को जल अर्पित करें. एक चौकी पर राम जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें. फिर फल, फूल, धूप, दीप, दूर्वा आदि के साथ पूजा-वंदना करें. इस दिन रामचरितमानस या रामायण का पाठ किया जा सकता है. आखिर में आरती करने के बाद पूजा संपन्न करें.
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