विवाह पंचमी का महत्त्व : यह एक पवित्र उत्सव भी है
विवाह पंचमी मार्गशीर्ष या अगहन मास में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाने वाला एक दिव्य और पवित्र त्योहार है जिसकी सांस्कृतिक और धार्मिक पृष्टभूमि है. यह शुभ दिन महाकाव्य रामायण में वर्णित भगवान राम और सीता के दिव्य विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है. विवाह पंचमी उत्सव का महत्व इसी में निहित है कि इस आनंद के अवसर से जुड़े रीति-रिवाज आदि भी दिव्य हैं.
विवाह पंचमी भगवान विष्णु के अवतार भगवान राम और देवी लक्ष्मी की अवतार देवी सीता के पवित्र मिलन को समर्पित एक दिव्य योग है. यह त्योहार अत्यधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह एक विधिवत किया हुआ आदर्श मिलन का प्रतीक है जो लाखों लोगों के लिए मार्ग दिखाने का काम करता है. चलिए अब शास्त्रीय पक्ष पर दृष्टि डालते हैं.
राम सीता का विवाह किस दिवस या किस माह में हुआ था?
रामचरितमानस बाल कांड के अनुसार भगवान राम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह मे हेमंत ऋतु (Nov-Dec) में हुआ था.
"मंगल मूल लगन दिनु आवा। हिम रितु अगहनु मासु सुहावा ।। ग्रह तिथि नखतु जोगु बर बारू। लगन सोधि बिधि कीन्ह बिचारू"।।3
अर्थ: मङ्गलों का मूल लग्न का दिन आ गया. हेमन्त ऋतु और सुहावना अगहन (मार्गशीर्ष) का महीना था. ग्रह, तिथि, नक्षत्र, योग और वार श्रेष्ठ थे. लग्न (मुहूर्त) शोधकर ब्रह्माजीने उसपर विचार किया.
वाल्मिकी रामायण में राम सीता विवाह किस मुहुर्त में हुआ था?
वाल्मिकी रामायण बाल कांड (उत्तरे दिवसे ब्रह्मन् फल्गुनीभ्यां मनीषिणः । वैवाहिकं प्रशंसन्ति भगो यत्र प्रजापतिः ॥13॥) अनुसार उत्तरा फाल्गुनी नामक नक्षत्र में विवाह हुआ था, जिसके देवता प्रजापति भग (तथा अर्यमा) हैं. मनीषी पुरुष उस नक्षत्र में वैवाहिक कार्य करना बहुत उत्तम बताते हैं.
जामाता के रूप में भगवान राम को पाकर जनक का क्या कथन था?
जनक जी बोले:- मेरी पुत्री सीता दशरथ कुमार श्रीराम को पति रूप में प्राप्त करके जनकवंश की कीर्ति का विस्तार करेगी. (वाल्मिकी रामायण बाल कांड 67.22)
क्या वरमाला रामायण में वर्णित हैं?
आध्यात्म रामायण बाल कांड 6.30 अनुसार, सीताजी नम्रतापूर्वक एवं मंद-मंद मुस्काते हुवे वह जयमाल रामचंद्रजी के ऊपर डालकर प्रसन्न हुई.
राम सीता का प्रेम रामायण में वर्णित हैं?
वाल्मिकी रामायण बाल कांड 67.22 अनुसार, भगवान राम सीता जी से बहुत प्रेम करते थे. वनवास के काल में उन्होंने कहा "सीता! तुम मेरी सहधर्मिणी हो और प्राणों से भी प्रिय हो".
जानकी जी का नाम सीता क्यों पड़ा?
वाल्मिकी रामायण बाल कांड 66.13-14 अनुसार,एक दिन जब जनक यज्ञ के लिए भूमि शोधन करते समय खेत में हल चला रहे थे तब उस हल के अग्र भाग से जोती गई भूमि से एक कन्या उत्पन्न हुई जो हल द्वारा खींची रेखा से उत्पन्न हुई जिससे वह सीता कहलाई.
विश्व की सबसे आदर्श नारी मानी जाती हैं माता सीता: –
वाल्मिकी रामायण सुंदर कांड 58.3 अनुसार, हनुमानजी ने कहा कि जिस नारी का स्वभाव सीता के समान होगा वह अपनी तपस्या से सम्पूर्ण लोकों को धारण कर सकती है या कुपित होने पर तीनों लोकों को जला सकती है.
राम और सीता की विवाह प्रसंग कोई साधारण योग नही बल्कि इसमी प्रेम, समर्पण और धार्मिकता का योग है, जो विवाह पंचमी को इन गुणों को उत्सव के रूप में उकेरती है. इसके अलावा, रामायण की प्रेरणा-परक कथा उस समय पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों और चुनौतियों का वर्णन करती है जिनका सामना इस दम्पति को वैवाहिक सुख में बंधने से पहले सहन करना पड़ा. विवाह पंचमी भक्तों के लिए बहुत महत्व रखती है जो इस दिव्य आयोजन को प्रेरणा के रूप में देखते हैं. राम और सीता के अलौकिक गुण उनकी समर्पक भक्ति, स्नेह और धर्म का पालन कई लोगों के लिए पथ–प्रदर्शक का काम करता है.
इस बार यह विवाह पंचमी रविवार, 17 दिसम्बर 2023 को मनाई जाएगी. पंचमी तिथि का प्रारंभ 16 दिसंबर 2023 को रात्रि 08:00 बजे से है और इसका समापन 17 दिसंबर, 2023 को शाम 05:33 बजे पर है. इस दिन का व्रत, पूजा रीति, रिवाज भी बड़े जोरदार ढंग से नेपाल, मिथिलांचल और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. विवाह पंचमी पर उपवास करना एक आम रिवाज है जिसे लोग इस दिन एक दिन का उपवास बड़ी आस्था के साथ रखते हैं. वे प्रभु राम और माता सीता से सामंजस्यपूर्ण और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. भगवान राम के मंदिरों में व्यापक पूजा की जाती है, जहां इनकी मूर्तियों को उत्तम वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है.
लोकरीति के अनुसार, इस शुभ दिन पर, रामायण का अखण्ड पारायण किया जाता है. यह महाकाव्य भगवान राम के जीवन और साहसिक कार्यों का वर्णन करता है. इसीलिए यह अत्यधिक शुभ माना जाता है. इस दैवीय दम्पति के प्रेम और समर्पण की कहानियां सुनने के लिए लोग जमा होते हैं. लोक प्रसिद्ध राम के मंदिरों में जैसे जनकपुर का जानकी मंदिर और तमिलनाडु का रामेश्वरम मंदिर भक्तो से भरा होता है जहां विशेष प्रार्थनाओं में भाग लेने और भव्य जुलूस देखने के लिए लोग आते हैं जो प्राचीन दिव्य विवाह की प्रतिकृति ही होती है.
इस साल जनवरी 2024 में उद्घाटन से पहले अयोध्या में राम मंदिर बहुत सारे भक्तों को आकर्षित करने के लिए तैयार है. दिन भर पूजा अर्चना में और राम धुन गाने में व्यतीत करना इस उत्सव का एक विशेष अंग है. दान पुण्य के कार्य भी विवाह पंचमी उत्सव का अभिन्न भाग है. यह विशेष कार्य मन में करुणा और सहानुभूति का भाव लाते हुए, गरीब लोगों को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करके परोपकार के कार्य करना चाहिए.
इस त्योहार को केवल धार्मिक भाव से ही नहीं अपितु सांस्कृतिक उपक्रमों को भी उजागर करना चाहिए. विभिन्न क्षेत्रों में, भगवान राम के जीवन को दर्शाने वाली झांकियां को जुलूस, नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से दर्शाना चाहिए. ऐसे त्योहार परस्पर एकता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देते हैं. आज के परिवेश में भी विवाह पंचमी एक प्रेम, प्रतिबद्धता और धार्मिकता के मूल्यों को उजागर करते हुए भी प्रासंगिक बनी हुई है. महाकाव्य रामायण के अखण्ड पाठ लोगों को याद आते हैं, जो पारिवारिक बंधन और नैतिक आचरण के महत्व पर खरे उतरते हैं.
इस दिवस भगवान राम और सीता की पूजा करने से वैवाहिक बंधन अटूट होता है. दीर्घकाल तक चलने वाला, समृद्ध और पूर्ण जीवन सुनिश्चित करने वाला होता है. विवाहित जोड़े प्रेम और समझ से भरे सौहार्दपूर्ण रिश्ते के लिए देवता जोड़े का आशीर्वाद चाहते हैं.
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