Vivah panchami 2022: माता सीता और भगवान राम के विवाह की वर्षगांठ 28 नवंबर 2022, सोमवार को है. पुराणों के अनुसार विवाह पंचमी के दिन यानी की मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर राम-सीता के मंदिरों में पूजा, अनुष्ठान, रामचरितमानस का पाठ किया जाता है. मान्यता है कि जो इस दिन विधि विधान से श्रीराम सीता का विवाह कराता है उसका दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है, मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है. इस पर्व पर अयोध्या और नेपाल में विशेष आयोजन किया जाता है. आइए जानते हैं विवाह पंचमी की पूजा विधि, मुहूर्त.
विवाह पंचमी 2022 मुहूर्त (Vivah panchami 2022 Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की विवाह पंचमी 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी. पंचमी तिथि का समापन 28 नवंबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर होगा.
- ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 05:09 - सुबह 06:03
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:53- दोपहर 12:36
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02:01 - दोपहर 02:43
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:31 - शाम 05:58 पी एम
विवाह पंचमी पूजा विधि (Vivah panchami Puja Vidhi)
- विवाह पंचमी पर सूर्योदय के पूर्व उठकर तीर्थ स्नान या पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इस दिन व्रत करने से सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.
- पूजा की चौकी पर राम-सीता की मूर्तियां स्थापित करें. फूल, माला, चंदन, रोली, अक्षत, फल, मिठाई, धूप, दीप अर्पित करें. माता सीता को सुहाग की समाग्री चढ़ाएं. पूजा के दौरान राम-सीता के मंत्रों का जाप करें
- विवाह पंचमी सोमवार को है और शिव-पार्वती की पूजा से वैवाहिक जीवन में मिठास आती हैं ऐसे में इस दिन राम-सीता के साथ शिव-पार्वती की उपासना का शुभ संयोग बन रहा है.
- घर या राम-सीता के मंदिर में रामायण के बालकांड में विवाह प्रसंग का पाठ करें. इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से परिवार में सुख-सौभाग्य आता है.
- जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र का दान करें. महिलाओं को सुहाग का सामान कुमकुम, सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, साड़ी, आदि चीजें दान करें. ऐसा करने पर अंखड सौभाग्यवती का वरदान मिलता है
विवाह पंचमी मंत्र (Vivah Panchami Mantra)
- तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी। जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।
- ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम, लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम, श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः
- ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि। तन्नो रामः प्रचोदयात् ।।
- ॐ जनकनंदिन्यै विद्महे, भुमिजायै धीमहि। तन्नो सीता: प्रचोदयात् ।।
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