Vrat Niyam: हिंदू धर्म में व्रत का विशेष महत्व है. व्रत या उपवास आज से नहीं बल्कि हमारे देवी-देवताओं के समय से चले आ रहे हैं. मान्यता के अनुसार व्रत या उपवास में संकल्प लिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से हमारी आत्मा के साथ-साथ हमारा शरीर भी पवित्र होता है. लेकिन अकसर लोग व्रत या उपवास में क्या अंतर होता है इसे नहीं जानते.


व्रत और उपवास में अंतर (Vrat Aur Upvaas Mei Antar)
पौराणिक समय में हमारे ऋषि मुनि जप, तप किया करते थे. जिसमें वो तपस्या, संयम और नियमों का पालन करते थे, इसे  व्रत या उपवास कहा जाता है. लेकिन वास्तव में इन दोनों ही शब्दों का अर्थ एक ही है. 



उपवास- उपवास में उप का अर्थ का समीप और वास का अर्थ है बैठना या रहना, यानि अपने भगवान में ध्यान लगाकर बैठना. उनका नाम जपना और उनकी स्तुति करना. यानि ईश्वर के निकट रहना. शुद्ध मन से आप ईश्वर के पास रहने की कोशिश करते हैं इसे उपवास कहते हैं. उपवास में निराहार रहना पड़ता, यानि बिना आहार ग्रहण करें हुए रहना पड़ता है. इस दिन आप अपना अधिक समय ईश्वर के ध्यान में लगाने है. 


व्रत- व्रत का अर्थ का किसी चीज का संकल्प लेकर व्रत का पालन करना, इसे व्रत कहा जाता है. व्रत में भोजन किया जाता है. आप किसी भी एक समय व्रत में खाना खा सकते है.


व्रत या उपवास महत्व ( Vrat Aur Upvaas Ka Mahatav)
व्रत या उपवास धार्मिक और वैज्ञानिक रुप से भी रखा जाता है. इससे आपका शरीर स्वस्थ्य रहता है. इससे आप अपनी आत्मा को नियंत्रित कर पाते हैं. सप्ताह में या 15 दिन में एक बार आप आहार ग्रहण नहीं करेंगे तो आपका शरीर स्वस्थ्य रहेगा. आपके शरीर को आराम मिलेगा और आप स्वस्थ्य रहेंगे. जब आप उपवास रखते हैं अन्न का त्याग करते हैं अपने मन पर नियंत्रण रखने हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं, उपासना करते हैं, इससे आपकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. इससे आपको लाभ जरुर मिलता है.


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