Vrat Benefits: आध्यात्मिक उन्नति के लिए शरीर में सात्विक गुणों को बढ़ाना बहुत जरूरी होता है. दूसरे अर्थ में शारीरिक ऊर्जा विलासिता के कामों में खर्च न कर आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने में प्रयोग होनी चाहिए. उपवास का अर्थ है पास बैठना, ईश्वर का भजन करना, मानसिक रूप से नाम का सुमिरन करना, प्रभु का चिंतन करना है. व्रत और उपवास को भी अलग अगल समझा जा सकता है. उपवास में भक्ति, भाव की प्रधानता है और व्रत में एक निश्चित विधि-विधान को बिना रुके लगातार करते हुए संकल्पित रहना होता है. व्रत आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही हो सकते हैं. जैसे कई लोग देश सेवा का व्रत लेते हैं. व्रत का संबंध संकल्प से हैं. बहुत से लोग वजन कम करने उद्देश्य से एक तीर से दो निशाने करते हुए व्रत रखते. भगवान भी खुश और डाइटिंग की डाइटिंग जो कि बिल्कुल गलत है.
उपवास के अनगिनत फायदे हैं.
- उपवास जितना लंबा होगा शरीर की ऊर्जा उतनी ही अधिक बढ़ेगी. उपवास करने से शरीर विकार रहित हो जाता है.
- उपवास आपके आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं ताकि आप अपने शरीर और जीवन और इच्छा पर अधिक नियंत्रण कर सकें.
- उपवास आपके शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालते हैं.
उपवास में प्रोसेस फूड नहीं खाना चाहिए.
आज कल तो उपवास के लिए होटलों में भी विशेष थालियां चलती हैं. लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए, कि उपवास में आहार नहीं खाना है. पूरे दिन ईश्वर की ही बात करें, उनकी कथा पर चर्चा करें. यदि मंगलवार का उपवास है तो आहार नहीं खाना है, यह तो अलग है लेकिन आज श्रीराम का नाम मुख से अन्य की दिनों की अपेक्षा अधिक लेना चाहिए. मन में हनुमान जी के कार्यों का स्मरण करना है, एक छोटी से बात है कि आज यदि कुछ भी अच्छा हो या कुछ बुरा होने से बच जाएं तो यह कहना चाहिए कि हनुमान जी की कृपा से आज यह कार्य हुआ या इससे बचे. कुल मिलाकर आज के व्यवहार में कुछ भक्ति दिखनी चाहिए.
उपवास कैसे करें - उपवास करने का सबसे सुरक्षित तरीका है माह में एक दिन के उपवास से शुरुआत करें. बाद में इसे हफ्ते में एक दिन नियमित रूप से किया जा सकता है.,
उपवास में क्या खाएं -
सबसे अच्छा फल, फल यानी रिजल्ट जड़ से बचना चाहिए क्योंकि जड़ बेस है. जड़ का अर्थ मूढ़ भी होता है. जड़ और चैतन्य आज तो चैतन्य में रमना है और यह फलीभूत हो इसलिए फलाहार करना है यानी फल खाना चाहिए. उपवास में भगवान का भजन-कीर्तन अवश्य करना चाहिए.
सावधानियां
- उपवास करने वालों को यह बात ध्यान में रखना चाहिए कि यदि वह किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हैं, या किसी बीमारी के लंबे इलाज को ले रहे हैं तो आपको अपने चिकित्सक की सलाह लिए बिना उपवास नहीं करना चाहिए. ईश्वर के लिए आपका भक्ति भाव ही सर्वोपरि है.
- डायबिटीज के रोगियों व गर्भवती महिलाओं व स्तनपान करा रही माताओं को डॉक्टर की सलाह पर ही उपवास रखना चाहिए.
- उपवास अपनी शारीरिक सामर्थ्य से अधिक नहीं करना चाहिए.
- उपवास के मर्म को समझना होगा, जिस उद्देश्य और जिस इष्ट के लिए उपवास रखा है, उन पर फोकस करना चाहिए न कि खाने-पीने में. प्रायः देखा जाता है कि उपवास में व्यक्ति अधिक भोजन कर जाता है, और चिंतन भी भजन से ज्यादा भोजन का रहता है.
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