धन, विद्या और व्यापार में वृद्धि के लिए करते है बुध देव को प्रसन्न, जानिए बुधवार की व्रत कथा पढ़ने से मिलता है क्या लाभ
Vrat Katha: बुधवार को करते हैं बुध देव की कृपा पाने के लिए व्रत. जाने क्या है पूजा विधि और व्रत कथा. जानिए कथा में बुध देव ने क्यों धारण किया था छलिए का वेश.
Vrat Katha : पूजा- अर्चना और व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. कहा जाता है कि यदि सभी सुखों की प्राप्ति करनी है और भगवान की कृपा पानी है तो व्रत करना शुभ फलदायी होता है. वैसे तो हर दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं और उसी प्रकार के फल प्राप्ति और अपनी आस्था के अनुसार व्यक्ति शुभ दिन चुनकर व्रत रहते हैं. अतः आज हम बात करने जा रहे हैं बुधवार के दिन व्रत करने की. चलिए जानते हैं इस दिन व्रत करने के नियम, लाभ और कथा.
बुधवार व्रत पूजन विधि -
बुध ग्रह की शान्ति तथा सर्व सुखों की प्राप्ति के लिये बुधवार का व्रत रखा जाता है. श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र तथा श्वेत चन्दन से बुध भगवान की पूजा की जाती है. इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना श्रेष्ठ रहता है. व्रत के अन्त में शंकर जी की पूजा, धूप, दीप बेल पत्र आदि से की जाती है. साथ ही बुधवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए. इस व्रत का प्रारंभ शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से करना श्रेष्ठ होता है. बुधवार के व्रत से बुध ग्रह की शांति तथा धन, विद्या और व्यापार में वृद्धि होती है.
बुधवार व्रत कथा-
एक व्यक्ति अपनी पत्नी को विदा करवाने अपने ससुराल गया. कुछ दिन वहां रहने के बाद उसने अपने सास - ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिये कहा. उस दिन बुधवार था. उसके सास - ससुर तथा अन्य संबंधियों ने कहा, “आज बुधवार है. आज के दिन गमन नहीं करते. "वह व्यक्ति नहीं माना और बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने शहर की ओर चल दिया. रास्ते में उसकी पत्नी को बहुत जोर से प्यास लगी. उसने पति से जल लाने को कहा. वह व्यक्ति लोटा लेकर गाड़ी से उतर कर जल लेने चला गया.
जब वह जल लेकर लौटा और अपनी पत्नी के पास आया तो वह यह देखकर आश्चर्य चकित रह गया कि ठीक उसकी जैसी सूरत तथा वैसी ही वेशभूषा वाला एक व्यक्ति उसकी पत्नी के पास गाड़ी में बैठा है. उसने क्रोध से दूसरे व्यक्ति से पूछा, "तू कौन है जो मेरी पत्नी के निकट बैठा है ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, "यह मेरी पत्नी है मैं अभी - अभी इसे ससुराल से विदा करा कर ला रहा हूं. "वे दोनों परस्पर लड़ने लगे. तभी वहां राज्य के सिपाही आ गए और उन्होंने लोटे वाले व्यक्ति को पकड़ लिया तथा स्त्री से पूछा, 'तुम्हारा असली पति कौन सा है? उसकी पत्नी शांत रही. क्योंकि दोनों ही एक जैसे थे. ज़रा भी अंतर नहीं था. वह असमंजस में थी कि किसे अपना पति कहे. "वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करते हुये बोला, "हे भगवान् . यह क्या लीला है? सच्चा झूठा बन रहा है. "तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे गमन नहीं करना चाहिए था. तूने किसी की बात नहीं मानी. यह सब लीला बुध देव की है.
उस व्यक्ति ने भगवान बुध देव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिये क्षमा मांगी. तब मनुष्य के रूप में आये भगवान बुध देव अंतर्ध्यान हो गये. वह व्यक्ति अपनी स्त्री को लेकर घर आया. इसके बाद पति - पत्नी बुधवार का व्रत नियम पूर्वक करने लगे. जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता है तथा दूसरों को सुनाता है. उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता है तथा सब सुखों की प्राप्ति होती है.
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