पानी की महानता का वर्णन वेदों में भी किया गया है. ऋग्वेद में जल पर विस्तार से बात रखी गई है. धन यश और वैभव की देवी महालक्ष्मी को जल अत्यंत प्यारा है. वे भगवान विष्णु के साथ क्षीर सागर में निवास करती हैं. जल मूल्यवान द्रव्य की श्रेणी में आता है. इसके बिना जीवन की कल्पना तक संभव नहीं है. पहला जीव भी जलचर माना जाता है. जल संरक्षण से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. अपव्यय से जीवन में सुख संमृद्धि में कमी आती है.


जो बेपरवाही से जल को खर्चते हैं. वे अपनी बचत को कम करते हैं. जिन घरों में नल से पानी बहता रहता है. ऐसे घरों में लक्ष्मी जी रुष्ट रहती हैं. पुराने समय में जल को बड़े बर्तनों में संग्रह कर रखा जाता था. आजकल घर के ऊपर पानी की टंकियां होती हैं. इन टंकियों को नियमित देखा जाना चाहिए. स्वच्छ रखा जाना चाहिए. ऐसा न करने पर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उभरती हैं. धन खर्च अनावश्यक बढ़ जाता है.


उपयोग में लाते समय भी पानी संतुलित ही खर्चना चाहिए. घर में आंगन या गार्डन है तो पशु पक्षियों के लिए जल का प्रबंध करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. गर्मी के मौसम में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए. जो लोग यात्रियों के लिए मुख्य रास्तों पर प्याऊ आदि की सुविधा करते हैं उन पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा बरसती है. प्रयास करें कि घर से कोई बिना जल ग्रहण किए न जाए.